लॉकडाउन में गरीब-मजदूर हैं बेहाल। राज्य सरकार सामाजिक संगठनों पर निर्भर
देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की निवर्तमान प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने राहत को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, राज्य कोरोना महामारी की चपेट में है। जिसके चलते पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सिर्फ आवासीय बैठक और प्रशासनिक अधिकारियों के फीडबैक पर ही निर्भर हैं।
गरिमा ने कहा कि, पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री यदा-कदा जनता के बीच पहुंचकर सरकारी रसोइयों का मुआयना करते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड सरकार पूरी तरह से सामाजिक संगठनों के द्वारा चलाई जा रही रसोइयों पर निर्भर दिखाई पड़ती है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि, गरीब, दिहाड़ी-मज़दूरों या अन्य ज़रूरतमन्दों के लिए उत्तराखंड सरकार की तरफ से अभी तक पके भोजन के वितरण की समुचित व्यवस्था कहीं नजर नहीं आ रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता दसौनी ने यह भी कहा कि, मुख्यमंत्री कार्यालय ने राहत कार्यो पर निगरानी के लिए सभी जिलों में प्रभारी मंत्री तय तो किए हैं। लेकिन जनता मौजूदा महामारी के दौर में उन मंत्रियों से भला क्या उम्मीद करेगी, जो सामान्य परिस्थितियों में अपने प्रभार वाले जिलों की विरले ही सुध लिया करते थे। मंत्री पहले भी अपनी विधानसभा तक सिमटे हुए थे और आज भी उससे बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं। देश के साथ हमारे राज्य में कोरोना के चलते स्थिति विकट हैं।
उन्होंने कहा कि, मौजूदा हालात में जनता मंत्रियों से राहत पहुंचाने की उम्मीदें कर रही है। लेकिन वह उसकी मुसीबतों से बेपरवाह आराम की जिंदगी बसर कर रहे हैं। सरकार को चाहिए था कि, अपने जिले से इतर मंत्रियों को दूसरे जिलों में प्रभार दिया जाता। साथ ही राहत कार्यों की रिपोर्ट मंगवाई जानी चाहिए थी। लेकिन मुसीबत ये है उत्तराखंड की हालत यथा राजा तथा मंत्री वाली बन गई है।