बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनियों के माया जाल में फंसा उत्तराखंड का उद्यान विभाग
– जिन सपनों को लेकर पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की स्थापना की गई वे सपने आज भी सपने ही बन कर रह गये
डॉ राजेन्द्र कुकसाल
देहरादून। उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं में आज भी आलू, मटर अदरक, लहसुन, प्याज आदि की व्यवसायिक खैती करने वाले कृषकों को समय पर उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज नहीं मिल पा रहें है। वहीं दूसरी ओर योजनाओं में करोड़ों रुपए हाइब्रिड बीज के नाम पर बर्बाद किए जा रहे हैं। उद्यान विभाग द्वारा हाइब्रिड (संकर) बीज के नाम पर योजनाओं में किया जा रहा है सरकारी धन का दुरपयोग।
योजनाओं में सब्जियों की उन्नतशील किस्मौ के बीज, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केन्द्रीय/राज्य के कृषि अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयौं द्वारा संस्तुत/उत्पादित, राष्ट्रीय/राज्य बीज निगमौं से बीज क्रय करने के निर्देश शासन द्वारा समय-समय पर दिये जाते रहे हैं। किन्तु उद्यान विभाग इन संस्थाओं से सब्जी बीज क्रय नहीं करता। विभाग द्वारा अधिकतर सब्जी बीज निजि कम्पनियों या बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनियों से क्रय किए जा रहे हैं।
हाइब्रिड (संकर) बीज का सच
● हाइब्रिड (संकर) बीजों से अधिक उपज प्राप्त होती है। किन्तु इन बीजों से कई नुकसान भी हैं।
● हाब्रिड बीज बहुत मंहगे होते हैं, जिस कारण आवंटित बजट के अनुसार योजना का लाभ कम ही कृषकों को मिल पाता है।
● आगामी वर्षौ के लिए कृषक इनसे गुणवत्ता वाले बीज नहीं बना पाते। प्रत्येक वर्ष नया बीज क्रय करना होता है।
● योजनाओं के बन्द होने पर आर्थिक रूप से कमजोर कृषकों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जायेंगी।
● हाइब्रिड बीजों में अधिक वर्षा व सूखे को सहने की क्षमता स्थानीय उन्नत किस्मों (क्षेत्र विशेष की भूमि व जलवायु में रची-बसी किस्मै) की अपेक्षा कम होती है।
● हाइब्रिड बीज एक विशेष रोग या वायरस से मुक्त बनाया जाता है। किन्तु इन पर अन्य कीट व बीमारियां अधिक लगती है। जबकि स्थानीय उन्नत शील किस्में क्षेत्र विशेष में लगने वाली बीमारियों व कीटों के प्रतिरोधी होती है।
● हाइब्रिड सब्जियों की उपज में स्थानीय/उन्नत शील किस्मों की तुलना में पोषक तत्वों का अभाव होता है।
● हाइब्रिड बीजों की खेती में अधिक उपज लेने हेतु, अधिक रसायनिक खाद व कीट व्याधि नाशक दवाओं का प्रयोग होता है। जिससे इनसे प्राप्त उपज में इन रसायनों का प्रभाव रहता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
● जैविक खेती में स्थानीय, उन्नतशील प्रजातियां से खेती की जाती है, हाइब्रिड बीजों का प्रयोग प्रतिबंधित होता है।
● हाइब्रिड बीजों से खेती करने पर लागत बहुत अधिक आती है।
● योजनाऔ में हाइब्रिड बीज क्रय करने से विदेशी कंपनियों को ही आर्थिक लाभ होगा।