भाजपा विधायक के बेटे पर लगा 5 करोड़ से अधिक छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप
देहरादून। जिस प्रकार उत्तराखंड प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत हमेशा से ही जीरो टॉलरेंस की बात कहते नजर आये हैं। इसके ठीक विपरीत पिछले 40 वर्षों से भाजपा संगठन के सच्चे सिपाही कहे जाने वाले कैंट विधानसभा के विधायक हरबंस कपूर के बेटे अमित कपूर ने सरकार के जीरो टोलरेंस के दावे को खोखला साबित कर दिया है।
बताते चलें कि, हरबंस कपूर ने खुद को उत्तर प्रदेश के जमाने से राजनीति में स्थापित कर एक अलग इतिहास बनाने के साथ-साथ एक साफ-सुथरी छवि भी बना रखी थी। परंतु कपूर के बेटे अमित ने अपने पिता के सभी दावों को झूठा साबित कर यह साबित कर दिया है कि, कपूर के सहयोग के बिना बिहाइव ग्रुप ऑफ़ कॉलेज बनाना आसान नहीं था। लेकिन हरबंस कपूर ने अपनी बात रखते हुए कहना शुरू कर दिया है कि, अमित कपूर के कॉलेज में उनकी कोई भी दखल अंदाजी नहीं है।
अब सवाल हरबंस कपूर पर उठना भी लाजमी है आखिरकार यह कैसे हो सकता है कि, उनके बेटे अमित कपूर ने अपने कॉलेज में छात्रवृत्ति घोटालों का बड़े पैमाने पर खेल खेला और हरबंस कपूर को इस बात की भनक भी नहीं लगी। या फिर इस पुरे प्रकरण से कपूर ने अपना पल्ला झाड़ने में ही अपनी भलाई समझी। कपूर ने यह कह दिया कि, उनका कॉलेज से कोई लेना देना नहीं है। परंतु विधायक हरबंस कपूर जो लोगों को भ्रष्टाचार से दूर रहने और भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की बात कहते नजर आते थे, तो क्या विधायक हरबंश कपूर का वह भाषण सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने भर का था।
यदि नहीं तो फिर कैसे बिहाइव ग्रुप ऑफ़ कॉलेज में 5 करोड़ 11 लाख 515 रु के छात्रवृत्ति घोटाला को अंजाम दिया गया। परंतु हरबंस कपूर को इस बात की जानकारी तक नहीं थी, जो कि अपने आप में चौंकाने वाली बात है। अब देखना है कि, क्या जीरो टॉलरेंस की सरकार जो अक्सर अपने विपक्ष की पार्टी के लोगों पर उंगलियां उठाती थी, क्या अब वही ज़ीरो टालरेंस की सरकार अपने विधायक के बेटे पर वही कार्यवाही करेगी? जो कार्यवाही पूर्व में समाज कल्याण विभाग के अफसरों पर हुयी है। या कहीं ऐसा तो नहीं कि, सरकार अपनी पार्टी के वरिष्ठ विधायक के बेटे को बचाने का भरसक प्रयास करती है या नहीं।
यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन यह तो तय है कि, भाजपा के बैनर तले कुछ खेल तो चल रहे हैं। बेशक पार्टी इस पर अब दलीलें कुछ भी दें। अब सरकार के लिए किसी धर्म संकट से कम नहीं है। अपने ज़ीरो टालरेंस सरकार को प्रूफ करने के लिए। इस 5 करोड़ से अधिक भ्रष्टाचार में संलिप्त आरोपीयों के विरुद्ध सरकार रिकवरी करने के साथ-साथ अमित कपूर व कपूर के कॉलेज के विरुद्ध क्या शख्त कदम उठाती है, अभी देखना बाकी है।
आपको बता दें कि, हरबंश कपूर की अपनी राजनिति के आखरी पड़ाव में एक वरिष्ठ विधायक की विदाई ऐसी होगी। ऐसी परिकल्पना किसी ने नहीं की होगी। तो क्या इस महाघोटाले से विधायक कपूर बाहर निकल पाएंगे? या फिर अपने साथ बदनामी का दाग लेकर जायेंगें? यह तो विधायक हरबंश कपूर ही बेहत्तर बता पायेंगें। विशेष सूत्रों की माने तो इस छात्रवृति महाघोटाले में कई और वरिष्ठ भाजपा नेताओं के नाम भी शामिल है। जिसका खुलासा होना अभी बाकी है।