मोटा वेतन लेने के बाद सरकारी विद्यालयों को पिकनिक स्पॉट्स समझते हैं अध्यापक

मोटा वेतन लेने के बाद सरकारी विद्यालयों को पिकनिक स्पॉट्स समझते हैं अध्यापक

 

– खंड शिक्षा अधिकारियों की भी भूमिका पर उठ रहे सवाल
– परिषदीय विद्यालय में अध्यापकों की रँगमिजाजी होती जा रही है आम बात….

कौशाम्बी। सरकारी विद्यालय में मोटा वेतन लेने के बाद अध्यापक सरकारी विद्यालयों को पिकनिक स्पॉट्स समझने लगे हैं। जिससे जब मर्जी अध्यापकों की हुई तो वह सरकारी विद्यालय पहुँचते है और जब मर्जी हुई तो विद्यालय छोड़कर अध्यापक चले जाते हैं। शिक्षकों पर अंकुश लगाने वाले खण्ड शिक्षा अधिकारी भी निरंकुश होते दिख रहे है। जिससे परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था चौपट होती दिख रही है।

बता दें कि, खंड शिक्षा अधिकारियों की भूमिका पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। विद्यालयों में अध्यापकों की रंग मिजाजी आम बात होती जा रही है, और आए दिन अध्यापकों के इस कृत्य से लोग उबाल खा रहे हैं। वहीं मामला सड़कों पर उछल रहा है। पीड़ित लोग अब पुलिस को भी अध्यापकों के कृत्य की सूचनाएं दे रहे हैं। जिससे पूरी परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्था पर सवालिया निशान आम बात होती जा रही है। विद्यालय के अध्यापकों की चर्चा भाजपा सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। चायल तहसील के नेवादा ब्लाक अंतर्गत औधन विद्यालय में अध्यापक के रंग मिजाजी का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा है।

जिले के दो तिहाई से अधिक विद्यालय घंटों विलंब से खुल रहे हैं। जिसकी हकीकत खंगालने के लिए आज मंझनपुर विकास खंड स्थित प्राथमिक विद्यालय सालेपुर का जनसंदेश टाइम्स टीम ने निरीक्षण किया। जहां 9 बजकर 30 मिनट तक एक भी अध्यापक स्कूल नही पहुँचे थे, 9:30 बजे के बाद एक-एक कर अध्यापक आने लगे और विद्यालय की व्यवस्था की जिम्मेदारी जिस अध्यापक को सौंपी गई है। वह हेड मास्टर 9:50 विद्यालय आए हैं, और 10:00 बजे तक विद्यालय में पठन-पाठन शुरू नहीं हो सका है। इस चौपट शिक्षा व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अध्यापकों पर शिक्षा विभाग के अधिकारी क्या कार्रवाई करेंगे यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल है?