Exclusive : मुख्यमंत्री के महाघोटालेबाज़ सलाहकार

मुख्यमंत्री के महाघोटालेबाज़ सलाहकार

 

-सूचना महानिदेशक मेहरबान सिंह हुए एक न्यूज चैनल पर मेहरबान….

– मुख्यमंत्री के अपर सचिव तथा सूचना महानिदेशक की मिलीभगत से न्यूज़ चैनल को जारी डेढ करोड़ का विज्ञापन…..

– बाकी मीडिया के लिए कोई दरियादिली नही….

देहरादून। मुख्यमंत्री के अपर सचिव तथा सूचना महानिदेशक मेहरबान सिंह बिष्ट का प्रथम दृष्टया डेढ़ करोड रुपए से भी अधिक का घोटाला सामने आया है। उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री के नजदीकी मेहरबान सिंह बिष्ट ने अपनी नजदीकियों का फायदा उठाते हुए मुख्यमंत्री के ही औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार को डेढ करोड रुपए का विज्ञापन जारी किया है। केएस पंवार मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार हैं और उनका एक नया नवेला चैनल “एपीएन” न्यूज़ है।

 

बता दें कि, एपीएन न्यूज़ बीते 2-3 माह पहले ही शुरू हुआ है। ना इस चैनल के बारे में कोई प्रदेश में जानता है, और न अधिकांश जगहों पर दिखता है।

हैरानी की बात है कि, चैनल टीआरपी में भी कहीं नहीं है। कितने जिलों में यह चैनल चल रहा है, इसकी भी कोई खबर नहीं। लेकिन मेहरबान सिंह बिष्ट ने इस चैनल को पहली किस्त के रूप में ₹72लाख का विज्ञापन जारी कर दिया है।यह विज्ञापन सिर्फ इसलिए जारी किया गया है, क्योंकि केएस पंवार मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार हैं, और केएस पंवार के साथ मेहरबान सिंह बिष्ट की गहरी संलिप्तता है।

 

गौरतलब है कि, राज्य में 4 बड़े चैनल न्यूज़ स्टेट, एबीपी गंगा, न्यूज़ news18 इंडिया/ उत्तराखंड और जी न्यूज़ जैसे चैनल, जिनकी उत्तराखंड के हर घर में पहुंच है, इन चैनलों को दरकिनार कर दिया गया। जबकि मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार के चैनल को 72 लाख रुपए जारी किए गए।

 

यदि अन्य न्यूज़ चैनलों को ऐसे ही दरकिनार करना है, तो फिर जीरो टोलरेंस कहां रह गया? जब महानिदेशक सूचना और औद्योगिक सलाहकार मिलकर सूचना विभाग का बजट उड़ा जाएंगे तो फिर कांग्रेस राज के ‘हरीश रावत-रंजीत रावत’ की जोड़ी तथा इनकी चौकड़ी में क्या फर्क है।

 

यदि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने औद्योगिक सलाहकार तथा सूचना महानिदेशक के साथ मिलकर यही खेल खेलना है तो फिर जीरो टोलरेंस का राज गाना छोड़ देना चाहिए।

 

मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार के एस पंवार के एपीएन चैनल को 72लाख रुपए दिया जाना क्या “कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट” की श्रेणी में नहीं आता है। इसका जवाब जीरो टोलरेंस का ढोल पीटने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देर सवेर देना ही होगा नहीं तो उनसे वक्त अपना जवाब खुद मांग लेगा।

 

नियम कायदों का अड़ंगा लगाने वाले सूचना विभाग के अफसरों को भी इस बात का जवाब देना होगा कि, मुख्यमंत्री के सलाहकार केएस पंवार के साथ मुख्यमंत्री के अपर सचिव तथा सूचना महानिदेशक मेहरबान सिंह की मिलीभगत के समय उनके नियम कायदे कहां चले जाते हैं।