प्रदेश उत्तराखण्ड में विभागों की जमीनों पर खेल
– देहरादून-मसूरी के रणनीतिकार बाबा सनकीदास कौन?
– सिंचाई विभाग की भूमि पर नगर निगम का कब्जा….
देहरादून। प्रदेश उत्तराखण्ड में आजकल हरिशंकर परसाई की कहानी ‘दस दिन का अनशन’ बार-बार याद आ रही है। जो लोग नहीं जानते उनके लिए संक्षेप में बता दूं कि, इस कहानी में बन्नू नाम का एक आदमी सावित्री नाम की एक शादीशुदा महिला के लिए अनशन कर देता है। महिला न सिर्फ़ शादीशुदा है। बल्कि आवारा किस्म के बन्नू से नफ़रत भी करती है। फिर भी बाबा सनकीदास के कहने पर बन्नू अनशन पर बैठ जाता है, और अंततः सैद्धांतिक रूप से मांग माने जाने के बाद अनशन समारोहपूर्वक तोड़ा जाता है। मसूरी में मंगलवार को कुछ ऐसा ही हुआ, हालांकि मुझे लगता है कि, इसका आधार देहरादून में नगर निगम ने ही तैयार किया है।
मसूरी में मंगलवार को मालरोड पर पटरी लगाने वाले एक युवक अंकुर सैनी ने फ़ेसबुक लाइव पर फ़िनाइल पी लिया। इस युवक का आरोप था कि, नगर पालिका अध्यक्ष उसे परेशान कर रहे हैं, और इसलिए उसे ज़हर पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बाद में पता चला कि, इसका पता चलने पर युवक की मां की तबियत भी ख़राब हो गई। अब जान लें कि, यह मामला क्या है। शनिवार को मसूरी की माल रोड पर पटरी लगाने वाले कुछ लोग नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता से मिलने पहुंचे थे। वहां गर्मागर्मी हो गई और इन लोगों ने न सिर्फ़ नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों को गाली दी बल्कि अनुज गुप्ता पर जूता भी फेंककर मारा।
अंकुर सैनी और उसकी मां पर नगर पालिका अध्यक्ष पर जूता फेंककर मारने का आरोप है। नगर पालिका अध्यक्ष ने शनिवार को ही इनके ख़िलाफ़ नामजद रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी। शनिवार को हुए हंगामे के वीडियो में एक महिला को चिल्लाते हुए और जूता फेंकते हुए देखा जा सकता है।
बताते चलें कि, मसूरी पुलिस ने नामजद रिपोर्ट के बाद इन लोगों को पूछताछ के लिए फ़ोन किए तो अंकुर सैनी ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए फ़ेसबुक लाइव में कोई ज़हरीला पदार्थ पी लिया। उसकी मां ने भी तबियत ख़राब होने की बात कही और वह भी मसूरी अस्पताल पहुंच गई। मसूरी की माल रोड पर्यटकों की पसंदीदा जगह है। हर साल लाखों की संख्या में मसूरी घूमने आने वाले पर्यटक माल रोड पर ज़रूर चहलकदमी करते हैं। लेकिन पिछले डेढ़-दो साल से यहां पटरी पर कब्ज़े बढ़ते जा रहे हैं।
इन अवैध कब्ज़ों की वजह से माल रोड पर घूमना मुश्किल होता जा रहा है और इसकी वजह से व्यापारियों की भी इन पटरी वालों से कई बार झड़प हो गई। अब ये पटरी वाले अपने विस्थापन की मांग कर रहे हैं। इनका यह भी दावा है कि, चुनाव लड़ते समय अनुज गुप्ता ने वेंडिंग ज़ोन बनाकर उन्हें स्थाई ठिकाना देने का वादा किया था। हालांकि अनुज गुप्ता इससे इनकार कर रहे हैं। अनुज का कहना है कि, वेंडिंग ज़ोन बनाया तो जा रहा है लेकिन इन लोगों से कोई वादा नहीं किया गया था।
अनुज गुप्ता के अनुसार वेंडिंग ज़ोन में स्थाई निवासियों को ही ठेलियां दिए जाने की भी शर्त रखी गई है, और शायद यही वजह है कि, माल रोड के अतिक्रमणकारी बिफरे हुए हैं। अनुज गुप्ता के अनुसार माल रोड पर अवैध कब्ज़ा कर पटरी लगाने वाले सभी लोग बाहर के है, व पिछले डेढ़-दो साल में आकर यहां जम गए हैं।
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने का एक तरीका दशकों से चला आ रहा था। सरकारी ज़मीन पर झुग्गी बनाकर रहने लगो और फिर उसके मालिकाना हक़ के लिए लड़ पड़ो, परखा हुआ यह नुस्खा नए राज्य उत्तराखंड में भी आज़माया जा रहा है। प्रदेश भर में नदियों, नालों-खालों पर कब्ज़ा किया जा रहा है और देहरादून में तो रिस्पना में बसे लोगों को सरकार पक्के मकान भी देने जा रही है।
लेकिन यहां देहरादून नगर निगम ने नई लकीर खींच दी। देहरादून नगर निगम ने सिंचाई विभाग की ज़मीन पर अवैध रूप से एक वेंडिंग ज़ोन बना दिया और इसमें ठेलियां-जगह चंद लोगों को बेच दी। संभवतः उत्तराखंड का यह पहला मामला है। जब एक सरकारी विभाग ने दूसरे विभाग की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया।
पाठकों को बता दें कि, सिंचाई विभाग ने नगर-निगम को अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस तो भेजा था, लेकिन नगर-निगम ने सीएम से इस अवैध वेंडिंग ज़ोन का उद्घाटन करवा दिया तो मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी संदर्भ में मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि, माल रोड के अतिक्रमणकारियों को कोई भड़काकर उनसे हंगामा करवा रहा है। यकीनन फ़ेसबुक लाइव पर फ़िनाइल पीना और फिर समय पर अस्पताल पहुंच जाना सुर्खियों में आने और दबाव बनाने का कारगर तरीका नज़र आ रहा है।
इसी तरह रातों-रात सिंचाई विभाग की ज़मीन पर कब्ज़ा कर वेंडिंग ज़ोन बनाना, चुपचाप चहेतों को ज़मीन बांट देना और फिर ज़मीन के मालिक विभाग को चुप करवाने के लिए सीएम से उद्घाटन करवाना भी कारगर रणनीति साबित हुई है। देहरादून में 6 नंबर पुलिया पर बने वे़डिंग ज़ोन से सड़क की चौड़ाई बहुत कम हो गई है, और जाम लगने लग गया है।
हरिशंकर परसाई की कहानी ‘दस दिन का अनशन’ में बन्नू की नाजायज़ इच्छा को पूरा करने की रणनीति बाबा सनकीदास बनाते हैं। क्योंकि, वह ग़लत काम के लिए दबाव बनाने के एक्सपर्ट हैं। सवाल यह है कि, देहरादून-मसूरी के रणनीतिकार बाबा सनकीदास कौन हैं? सवाल यह भी है कि, उत्तराखंड में ऐसे कितने बाबा सनकीदास हैं।