प्राथमिक विद्यालय बना खण्डहर, बच्चों को नहीं मिल रही शौचालय की सुविधा
– कई बार शिकायत करने के बाद भी नही हुई कोई सुनवाई….
प्रयागराज। देश के भविष्य को सवारने के नाम पर छाती ठोकने वालों छाती पीटो कि, हमारे देश का भविष्य खतरे में हैं, छाती पीटो कि, तुम्हारी सारी योजनाएं दम तोड़ चुकी हैं, छाती पीटो कि, वादे बिलख उठे है। क्लास रूम की दीवारों पर रहनुमाओं की इबारत लिखी गई है। जिसका ग्राफ नैतिकता की तरह नीचे गिरता जा रहा है। दीवार पर खींची दरार की दास्तान संकेत देती है कि, स्कूल की इमारत में नहीं कराया गया कोई काम, विद्यालय की बाउंड्री गिरी है, अंदर बने हुए शौचालय 2 साल से बंद पड़े है, आखिर स्कूल प्रबंधक द्वारा क्यों नहीं कराया गया चालू? क्या बच्चे इसी तरह शौच के लिए बाहर जाते रहेंगे?
प्रयागराज जिले के शंकरगढ़ विकासखंड क्षेत्र हर खोरिया खुर्द में बना प्राथमिक विद्यालय मांगता है, एक बच्चों के लिए शौचालय। विद्यालय के साए में पल रहे, बढ़ रहे और पढ़ रहे बच्चों के लिए बने शौचालय स्वच्छ रहे हिंदुस्तान। सुनो सूबे के रहनुमा कहीं गुम सी हो गई है आवाज। उन नौनिहालों की जो ये बताते हैं कि, देश का आने वाला कल हम है, जहां तुम विराजमान हो वहां विराजमान होकर हम देश को चलाएंगे। हम भी आगे बढ़ेंगे, पढ़ लिखकर जब उस पोस्ट पर पहुंचेंगे तो बताएंगे कि, भ्रष्टाचारियों का क्या हाल होता है।
सूबे की योगी सरकार ने करोड़ों रुपए शौचालय के लिए दिया है, कई बार पोथी पत्रा भर दी गईं, कई बार अफसर लोगों को बता दिया गया, लेकिन कोई सुनता नहीं है, हमारी शिकायतों पर बहरे होने की नौटंकी की जाती है, और लोगों के सवाल पर चुप्पी साध ली जाती है। पढ़ना हम चाहते हैं, बढ़ना हम चाहते हैं। लेकिन क्लास रूम पर खिची यह दरारे हमें डराती हैं, विद्यालय में नहीं है शौचालय और पूछती हैं सवाल बताओ देश के भविष्य कि तुम्हारा रहनुमा कहां है। स्वच्छता में भविष्य को संवारने का बीड़ा हमने उठाया है, आप लोग बस सत्ता के नाम पर मौज काटो।
फिलहाल बीएसए साहब पद और कद के हिसाब से मिली गाड़ी में सवार होकर जब पहुंचते होंगे आप ऑफिस तो नजर तो पड़ती होगी आपकी इस पर कि सब पढ़े सब बढ़े, सरकार की इच्छा सब की शिक्षा लेकिन कई वर्षों से मिल रही शिकायतों के पुलंदे पर कुंडली मारकर बैठे हैं। जिसके नीचे बच्चों की एवं प्रधानमंत्री का सपना स्वच्छता अभियान पूरा नहीं हो रहा है। भविष्य घुट रहा है। कार्यवाही के नाम पर बस आज ही सब कुछ ठीक करने का दावा करते हैं।
मोदी सरकार ने स्वच्छता अभियान का बीड़ा उठाया करोड़ों रुपए देश में खर्च किए लेकिन आज भी हर खोरिया खुर्द में प्राथमिक विद्यालय स्वच्छता अभियान से विहीन है। आखिर क्यों गिरी है विद्यालय की बाउंड्री? क्यों नहीं हो रही है बिल्डिंग की मरम्मत? कौन खा गया सरकार का खजाना का पैसा। अरे प्रयागराज के सरकारी बाजीगर, आंकड़ों के जादूगर सरकारी अभिलेखों में दर्ज योजनाएं कोसती होंगी तुमको, इस ऑफिस में धूल फांकती हुई फाइल पूछती होगी बच्चों की स्वच्छता को धूल का कड़ समझ कर पैरों के तले कुचलने का अधिकार तुमको किसने दिया।
सूबे के सरदार सवाल पूछती है यह गिरी हुई बाउंड्री, बंद पड़ा शौचालय, जिस पर आप के वादे दरार बनकर चिपके हैं। पूछती है सिसकती हुई छत बताओ इन बच्चों से कितनी है मोहब्बत, झांक कर देखो बच्चों की आंखों में सरकार जिनमें कुछ बनने का सपना सजाती है। लेकिन शौचालय ना होने से मासूम चेहरे की खुशियां छीन ली हैं। पूछता है खंडहर कब तक हर खोरिया खुर्द मैं रहेगा। आखिर विद्यालय का निर्माण कब होगा।