राजधानी में बिना अधिकारों के काटे जा रहे चालान
देहरादून। मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होते ही चालान और इसके तगड़े जुर्माने को लेकर शहर में मची भागदौड़ के साथ लोगों के अधिकार पर भी बहस छिड़ गई है। ऐसे कई अधिकार हैं, जो आमजन को पता नहीं और जानकारी के अभाव में वे वही कर रहे जैसा पुलिस ने बोल दिया।
हकीकत तो यह है कि, मोटर वाहन अधिनियम के तहत कई धाराएं ऐसी हैं, जिनमें पुलिस को जुर्माने की वसूली का अधिकार ही नहीं। न ही चालान करने का अधिकार है। इतना ही नहीं पुलिस हर चालान पर तय दंड के हिसाब से जुर्माने की वसूली कर रही, जबकि पुलिस को तय समय-सीमा का इंतजार करना चाहिए।
पाठकों को बता दें कि, वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र, फिटनेस प्रमाण पत्र, बीमा, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण जांच प्रमाण आदि प्रस्तुत न करने पर अगर पुलिस आपका चालान करती है, तो उसे जुर्माने की वसूली का अधिकार ही नहीं है। जानकारी देते हुए एआरटीओ (प्रशासन) अरविंद पांडे ने बताया कि, निमयानुसार पुलिस को सभी चालान परिवहन विभाग के आफिस भेजने चाहिए। अगर पुलिस चालान काटती भी है, तो नियमानुसार उसे प्रदूषण प्रमाण पत्र पेश करने के लिए सात दिन और अन्य कागजों को लेकर पंद्रह दिन का वक्त वाहन स्वामी को देना चाहिए। अगर इस दौरान कागजात पेश कर दिए जाते हैं तो जुर्माना नहीं वसूला जा सकता।
देहरादून सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने बताया कि, उन्होंने भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, जिसमें साफ अंकित है कि, पुलिस ओवरलोडिंग में चालान नहीं कर सकती।
भारी वाहन का ओवरलोडिंग में चालान नहीं काट सकती पुलिस। एआरटीओ अरविंद पांडे के अनुसार मोटर वाहन अधिनियम के तहत पुलिस किसी भी भार वाहन का ओवरलोडिंग में चालान नहीं काट सकती। यह अधिकार केवल परिवहन विभाग के पास है। वहीं, शहर में पुलिस के चालान रिकार्ड पर गौर करें तो ओवरलोडिंग में ट्रक, डंपर और लोडर तक के धड़ल्ले से चालान पुलिस काट रही है। एआरटीओ के अनुसार पुलिस किसी यात्री वाहन को रोक उसका परमिट जांचने का भी अधिकार नहीं है। ना ही पुलिस परमिट को लेकर चालान काट सकती है।
– सब-इंस्पेक्टर व इससे ऊपर रैंक वाले अफसर ही कर सकते हैं चालान….
गौर देने का विषय है कि, नियमानुसार सब-इंस्पेक्टर या इससे ऊपर के रैंक वाले अफसर को ही चालान काटने का अधिकार है, लेकिन दून पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल और कॉन्स्टेबल भी चालान बुक लेकर सड़कों पर चालान काटते नजर आते हैं। स्थिति यह है कि, हेड कॉन्स्टेबल, दरोगा की पहले से साइन की हुई चालान बुक लेकर खड़े रहते हैं, जबकि यह पूर्णत: गैर-कानूनी है। एआरटीओ के अनुसार चालान पर जिस अधिकारी के साइन होते हैं, वह उक्त जगह मौजूद होना चाहिए।
– एल्कोमीटर के पाइप नही बदलते….
शराबी वाहन चालक की एल्कोमीटर से जांच के दौरान हर बार उसका पाइप बदला जाना चाहिए, लेकिन पुलिस और परिवहन विभाग के कर्मी ऐसा नहीं करते। एक पाइप पर ही सभी से फूंक मारने को कहते हैं, जो नियमानुसार गलत है। एल्कोमीटर में चेकिंग के लिए कागज के दो इंच के पाइप आते हैं जो हर बार नए लगाए जाने चाहिए। इसकी वजह यह है कि, अगर किसी को बीमारी है तो उसकी बीमारी दूसरे शख्स को भी लग सकती है। कई लोग पाइप नहीं बदलने पर विरोध भी करते हैं, लेकिन पुलिस रौब गांठ उन्हें चुप करा देती है। नियम में यह भी है कि, अगर कोई एल्कोमीटर पर जांच कराने से इन्कार कर रहा है तो उसका अस्पताल में मेडिकल कराना चाहिए, लेकिन इसका भी पालन नहीं किया जाता।
– रेड लाइट नहीं तो चालान नहीं….
अगर कहीं ट्रैफिक की रेड लाइट नहीं लगी है या काम नहीं कर रही और वाहन चालक उसे जंप कर जाए तो चालान नहीं काटा जा सकता। इसमें एक शर्त लगी है। शर्त यह है कि, अगर रेड लाइट न होने या रेड लाइट के काम न करने पर पुलिसकर्मी यातायात संचालन कर रहा है तो कानून में उसके इशारे के अनुसार ही वाहन चलाने का प्रावधान है। अगर आपने पुलिसकर्मी के इशारे को दरकिनार किया तो उस सूरत में चालान किया जा सकता है। दून शहर में अधिकतर चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें बंद हैं। कई जगह दिखाई नहीं देती। फिर भी लाइट जंप करने के चालान कट रहे।
– वीडियो आप भी बन सकते है….
अगर पुलिस वाहन चेकिंग के दौरान या चालान करते हुए आपका वीडियो बना रही है तो आप भी अपने मोबाइल या कैमरे पर उसका वीडियो बना सकते हैं। लेकिन, इस दौरान सरकारी कार्य में बाधा न पहुंचाएं।
– मोटर व्हीकल एक्ट पर बोले अधिकारी….
एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद्र आर्य का कहना है कि, यह बात सही है कि, पुलिस को कुछ धाराओं में चालान का अधिकार नहीं है। पुलिस की ओर से इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। चेकिंग के दौरान पुलिस को चाबी निकालने का कोई अधिकार नहीं है, जब तक यह सिद्ध न हो जाए कि जिस चालक को रोका जा रहा है, वह वाहन के साथ भाग सकता है।
एआरटीओ प्रशासन अरविंद पांडे का कहना है कि, पुलिस को चालान काटने के बाद मौके पर ही चालान भुगत सकती है। इसके बाद जुर्माना वसूलने का अधिकार नहीं है। यह चालान परिवहन विभाग के पास भेजे जाने चाहिए। चालान को छुड़ाने के लिए वाहन चालक को नियमानुसार पर्याप्त समय 15 दिन मिलने चाहिए। अगर इस दौरान वाहन चालक संबंधित दस्तावेज पेश कर देता है तो जुर्माना नहीं लगेगा। पुलिस भार वाहन का ओवरलोडिंग व यात्री वाहन का परमिट को लेकर चालान नहीं कर सकती। पुलिस इसलिए चालान नहीं छोड़ सकती, क्योंकि दस्तावेजों की वैधता तो परिवहन विभाग ही प्रमाणित कर सकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण सेठ का कहना है कि, वाहन को रोककर चाबी निकालने का अधिकार किसी के पास नहीं है। प्रवर्तन एजेंसी सिर्फ उसी सूरत में चाबी निकाल सकती है, जब अपराध की कोई आशंका हो। लेकिन यह आशंका साबित भी होनी चाहिए। अगर पुलिस आपका वीडियो बना रही है तो आप भी उस समय का वीडियो बना सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इससे सरकारी कार्य में बाधा न पहुंचे। ऐसा होने पर पुलिस आपके विरुद्ध सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का आरोप भी जोड़ सकती है।