Exclusive: कांग्रेस के पतन का कारण कांग्रेसी नेता

कांग्रेस के पतन का कारण कांग्रेसी

– किशोर उपाध्याय की माने तो बची-खुची कांग्रेस सीबीआई के लपेटे में…..

देहरादून। विधानसभा चुनाव 2017 में 70 में से 11 सीटों पर सिमटी कांग्रेस की दुर्गति का दौर लोकसभा में भी जारी रहा और कांग्रेस लगातार दूसरी बार पांचों सीटें हार गई। भारतीय जनता पार्टी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान की आहट कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के कानों में ज्यादा नजदीक तक सुनाई देने लगी है। दो बार विधायक, मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके किशोर उपाध्याय का कहना है कि, उन्हें जानकारी मिली है कि, कांग्रेस के 65 लोग सीबीआई के रडार पर हैं। कांग्रेस नेता चिदंबरम के सीबीआई कस्टडी में होने के बाद किशोर उपाध्याय की आशंका उस दिन सामने आई जब सीबीआई ने हरीश रावत के स्टिंग की जांच को न्यायालय में जमा करवाया।

 

चिदंबरम की ग्रह चाल लालू प्रसाद की तरह मजबूत रही। लालू प्रसाद ने जिस जेल का लोकार्पण किया। बाद में खुद वहीं सजा काट रहे हैं, और चिदंबरम ने जिस सीबीआई दफ्तर का रिबन काटा उनका भी वहीं से गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हुआ। 20 सितंबर 2019 को हरीश रावत स्टिंग प्रकरण पर हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। किशोर उपाध्याय द्वारा 65 कांग्रेसियों के सीबीआई के लपेटे में होने की यह बात तब सामने आई है, जबकि कांग्रेस के अधिकांश धुरंधर बहुत पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। यशपाल आर्य, विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा काऊ, केदार सिंह रावत, प्रदीप बत्रा, रेखा आर्य, संजीव आर्य, सौरव बहुगुणा, भाजपा में जाकर मंत्री विधायक बन चुके हैं।

 

किशोर उपाध्याय की भांति रंजीत रावत और तिलकराज बेहड़ में भी लगातार दो-दो चुनाव हार चुके हैं। व पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण हार की हैट्रिक लगा चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी हार का मजा ले चुके हैं। लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में शून्य पर सिमटने के बाद नेताओं की आपस में सर फुटव्वल जारी है। अब सवाल इसलिए भी गंभीर है कि, वह कौन 65 लोग हैं, जो किशोर उपाध्याय के अनुसार सीबीआई के रडार पर हैं। तिवारी सरकार से मंत्री रही इंदिरा हृदयेश इन दिनों उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के दोनों भाई दूसरी दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख बने।

 

उत्तराखंड में कांग्रेस के 11 विधायकों में से राजकुमार और आदेश चौहान भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। ममता, राकेश, फुरकान अहमद, दूसरी बार विधायक बनी है। पौड़ी लोकसभा से मनोज रावत एकमात्र विधायक हैं। इसके अलावा गोविंद सिंह कुंजवाल और हरीश धामी के साथ-साथ करण मेहरा कांग्रेश की ओर से आवाज उठाने वाले लोगों में हैं। दो बार बसपा से विधायक रहे काजी निजामुद्दीन अब कांग्रेस से विधायक हैं। गंगोत्री से दो बार विधायक रहे विजय पाल सिंह सजवाण चुनाव हार कर घर बैठे हुए हैं।

 

हारने वाले नेताओं में विक्रम सिंह नेगी, गणेश गोदियाल, अनुसूया प्रसाद मैखुरी, राजेंद्र भंडारी, प्रोफेसर जीतराम, मातबर सिंह कंडारी, मंत्री प्रसाद नैथानी, दिनेश अग्रवाल, राजकुमार, सूर्यकांत धस्माना, हीरा सिंह बिष्ट, शैलेंद्र सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह नेगी, मयूख महर नारायण, राम आर्य, हेमेश खर्कवाल, ललित फर्सवाण, भीम लाल आर्य, दान सिंह भंडारी, सरिता आर्य, प्रमुख नेताओं में शुमार हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस की दो बार सरकार बनी और मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत मंत्रिमंडल में रहे। अधिकांश लोग भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में किशोर उपाध्याय द्वारा 65 कांग्रेस के नेताओं पर सीबीआई की रडार की आशंका काफी गंभीर है।

 

 

क्योंकि, पूर्व मंत्रियों/विधायकों और पार्टी अध्यक्षों को मिलाकर भी सूची 65 पर नहीं जा रही है। ऐसे में जिला पंचायतों और नगर पालिकाओं व नगर निगम के अलावा दायित्वधारी वाले नेताओं के भी लपेटे में आने की संभावना है। यदि वास्तव में किशोर उपाध्याय की सूचना सत्य है, तो जाहिर है। बड़ी जिम्मेदारी लेकर मलाई काटने वालों पर जल्द ही शिकंजा कस सकता है। सभी दलों के नेताओं की भांति कांग्रेस के नेताओं द्वारा भी समय-समय पर भारी-भरकम निवेश और दंद-फंद के कारोबार की खबरें भले ही अखबारों में नहीं छपी हो, किंतु उत्तराखंड में शराब माफिया और भू माफियाओं के पनपने के पीछे सफेदपोश ही रहे हैं।

 

 

उत्तराखंड के लोगों को अब किशोर उपाध्याय की आशंका की पुष्टि होने का इंतजार है। आखिरकार सीबीआई वाले कब अपने फंदे को और बड़ा करते हुए देहरादून कूच करते हैं। कुछ भी हो किशोर उपाध्याय का यह बयान उन धन पशुओं की तो कईयों की तो नींद उड़ा ही गया। जिन्होंने, उत्तराखंड को लूट कर सात पीढ़ियों के लिए इकट्ठा कर रखा होगा। किशोर उपाध्याय की बात यदि पुख्ता हुई तो उत्तराखंड के मंत्री विधायकों और मजबूत पदों पर रहे लोगों के रिश्तेदार और परिजन भी जल्द ही लपेटे में रहेंगे।