– सूचना महानिदेशालय की चौखट पर 8वें दिन भी पत्रकारों का धरना जारी
– आंखें मूंदे बैठे निदेशालय के अधिकारियों संग निदेशक
देहरादून। आज यह देख कर बेहद आश्चर्य होता है कि, 18-20 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे पत्रकार आज सूचना महानिदेशालय की चौखट तक आ बैठे हैं। राज्य गठन के पहले से पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकारों को चौखट पर बैठा देख सूचना महानिदेशालय के अधिकारियों की आंखों में मानों जैसे काला चश्मा चढ़ गया हो। जिससे उन्हें कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा हो। सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जो कि, इस विभाग के मुखिया हैं। साथ ही सूचना महानिदेशक मेहरबान सिंह बिष्ट जिनके बारे में कहा जाता है कि, वह सीएम के काफी करीबी है। बावजूद इसके देहरादून के पत्रकारों के साथ पक्षपात किया जा रहा है। दूसरे राज्यों की पत्रिकाओं को करोड़ो रुपए के विज्ञापन महज विशेषांक के नाम पर बाँट दिए जाते है, और अपने राज्य के पत्रकारों को नियमावली के नियम/कानून समझाते हुए पांच-दस हजार तक ही सीमित रखा जाता है।
लगातार 8 दिनों से चले आ रहे धरने ने अब एक नया रूख ले लिया है। कल शाम 6:30 बजे गांधी पार्क से घंटाघर तक मशाल जुलूस निकालने का निर्णय तक राज्य के लघु एवं मँझोले समाचार पत्र/पत्रिका व न्यूज़ पोर्टल के पत्रकारों ने ले लिया है। साथ ही आज के धरने में एक सुर में पत्रकारों ने यह भी कहा कि, अगर उनकी बात नहीं मानी जाती तो अगस्त माह के पहले दिन से सभी पत्रकार साथी आमरण अनशन पर बैठेंगे। गौरतलब है कि, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार आज अपने हक को पाने के लिए सूचना महानिदेशालय के चौखट तक आ बैठे है।
आपको बता दें कि, उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले पत्रकारों के खिलाफ सूचना महानिदेशालय द्वारा दमनकारी रवैया अपनाने के विरोध में पत्रकारों का धरना आज छठे दिन भी जारी रहा। सूचना महानिदेशक के देहरादून से बाहर होने के चलते, तथा सकारात्मक रुख अपनाए जाने प्रत्याशा मे आज शाम को निकाले जाने वाला मशाल जुलूस कल तक के लिए टाल दिया गया है। पिछले 5 दिन से चले आ रहे धरने का एक बड़ा असर सरकार पर हुआ है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे अपनी बड़ी चूक मानते हुए स्वीकार किया कि, जल्दी ही इसकी भरपाई प्रदेश के सभी स्थानीय समाचार पत्रों को कर दी जाएगी।
जबकि, सूचना महानिदेशक मेहरबान सिंह ने पत्रकारों को आश्वस्त किया था कि, मसूरी कॉन्क्लेव के अवसर पर इसकी क्षतिपूर्ति कर दी जाएगी। लेकिन महानिदेशक सूचना ने इस अवसर पर भी स्थानीय पत्रों को मसूरी कॉन्क्लेव का विज्ञापन जारी नहीं किया। इससे पत्रकार अपने को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। इसलिए सभी पत्रकारों का एक सुर में कहना है कि, जब तक उन्हें कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता, तब तक वह अपना धरना समाप्त नहीं करेंगे। साथ ही सभी पत्रकार साथी यह आश्वासन भी चाहते हैं कि, भविष्य में बिना पत्रकार संगठनों को विश्वास निधि नियमावली से कोई छेड़छाड़ न की जाए। और पत्रकारों का साफ तौर से यह भी कहना है कि, मुख्यमंत्री या सूचना महानिदेशक लिखित में यह आश्वासन दें। वरना तब तक वह लोकतांत्रिक तरीके से अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।
वहीं दूसरी ओर देहरादून में धरना प्रदर्शन की आग हरिद्वार तक पहुंच गई है। हरिद्वार में कल पत्रकारों ने प्रदर्शन करके सिटी मजिस्ट्रेट जगदीश लाल के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन देने वालों में उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार संगठन के जिला अध्यक्ष दीपक नौटियाल, महासचिव मेहताब आलम, डॉ रजनी कांत शुक्ला, अविक्षित रमन और प्रेस क्लब के महामंत्री महेश पारीक, अमित कुमार और प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष सरवन झा, राजीव तुमबडिया, मनोज खन्ना, जितेंद्र चौरसिया, मुकेश वर्मा एवं एस के आर्य आदि शामिल रहे। अन्य जनपदों में पत्रकार विरोध प्रदर्शन शुरू करने की योजना बना रहे हैं।