होली के त्यौहार पर कोरोना का ग्रहण। संतो ने लिया फूलों की होली खेलने का निर्णय
रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
धर्मनगरी हरिद्वार में इस बार होली के त्यौहार पर भी कोरोना ने ग्रहण लगा दिया है। होली के दिन सभी मठ मंदिरों और अखाड़ों में खेली जाने वाली होली के स्वरूप में परिवर्तन आ गया है। कोरोना को देखते हुए साधु संतों ने इस बार रंगों की होली न खेलकर केवल फूलों की होली खेलने का निर्णय लिया है और तमाम साधु-संतों ने लोगों से अपील की है कि, कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए होली के त्यौहार को मनाएं।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि, होली की ये परंपरा रही है कि, सभी तेरह अखाड़ों में साधु संतो द्वारा गले मिलकर अबीर गुलाल लगाकर होली का उत्सव मनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना के चलते उन्होंने इस परंपरा को थोड़ा परिवर्तन कर दिया है। इस बार एक दूसरे को न छूकर केवल फूलों की होली ही खेली जाएगी। नरेंद्र गिरी ने कहा कि, अगर रंगों का प्रयोग करना है भी तो देसी रंगों का प्रयोग करें। वहीं उन्होंने अन्य साधु संतों व श्रद्धालुओं और भक्तों से भी अपील करी कि, इस बार होली का त्यौहार मनाएं, लेकिन कोरोना गाइडलाइंस का पालन भी करें।
वही निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पूरी महाराज ने कहा कि, इस बार निरंजनी अखाड़े में फूलो की होली खेलने का फैसला उनके द्वारा लिया गया है। अखाड़े के साधु संत फूलों की होली खेलेंगे, इस बार जो बाजार में रंग आ रहे है वो कैमिकल वाले रंग है, उनसे बड़ा नुकसान होता है। कोरोना का दौर है, हमे होली भी मनानी है और कोरोना गाइडलाइंस का भी पालन करना है। इसलिए सभी लोग होली मनाएं, लेकिन सावधानी भी जरूर बरतें।
वही संत प्रखर महाराज ने कहा कि, सनातन धर्म मे रंगों का विशेष महत्व है, होली के रंग बहुत शुभ माने जाते है। लेकिन हमें होली भी मनानी है और कोरोना गाइडलाइंस का पालन भी करना है।
कोरोना महामारी के कारण हिंदुओं के सबसे बड़े आस्था के पर्व होली पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। धर्म नगरी हरिद्वार में कुंभ मेला चल रहा है और तमाम अखाड़ों के साधु संत इस बार रंगो की होली की बजाय फूलों की होली खेलेंगे और साथ ही साधु-संतों ने लोगों से भी अपील करी है कि, कोरोना महामारी को देखते हुए भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए होली के पर्व को मनाए।