उत्तराखंड के आसमान पर मौत का उड़नखटोला। नियमों को ताक पर रखकर उड़ रहे हैं हेलीकाॅप्टर
– नेता और मंत्री डालते हैं पायलट पर चाॅपर उड़ाने का दबाव
-गुणानंद जखमोला
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक बागेश्वर हेलीकाॅप्टर से गये। कल सहप्रभारी रेखा वर्मा भी चाॅपर से यूपी गयी। जाएं, कोई बात नहीं, यदि एटीसी अनुमति दें। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि, नेता और अफसर पायलटों को ऐसी उड़ानों के लिए भी दबाव डालते हैं, जहां उड़ान खतरे से खाली नहीं। ऐसी जगह भी जो खतरनाक हैं। पायलट रंजीतलाल की मौत के बाद भी नेता और अफसर सीख नहीं ले रहे। सेब के बागानों के आस-पास लगी तारों के होते हुए हादसे का डर था। उसे न तो नो फ्लाइंग जोन घोषित किया न ही तारों पर आरेंज बाल लगाई गयी, ताकि तारें पायलेट को नजर आ सके। न ही जांच केे ठोस परिणाम निकले।सूत्रों के अनुसार प्रदेश के कुछ नेता पायलेट को इतना परेशान कर देते हेैं कि, या तो वो जान हथेली पर रखकर फ्लाई करें या फिर नौकरी छोड़ दें। यही कारण है कि, प्रदेश सरकार का एक जहाज जौलीग्रांट पर पिछले डेढ़ साल से ऐसे ही खड़ा है। इसके पायलेट ने तंग आकर नौकरी छोड़ दी। अब इस जहाज के लिए पायलेट नहीं मिला या पार्टटाइम पायलेट से काम चलाया जा रहा है। बताया जाता है कि, एक मंत्री तो पायलेट पर इतना दबाव डालता है कि, यहां भी जाना है, वहां भी जाना है और सुरक्षा की परवाह नहीं। ऐसे में नेता के साथ पायलेट की जान भी खतरे में पड़ जाती है।
यह आलम केवल सरकारी हेलीकाॅप्टर या जहाज का नहीं है। चारधाम यात्रा में तो गजब का खेल होता है। चाॅपर की शाॅटी एक दिन में कितनी होनी चाहिए, यह तय ही नहीं होता। पायलेट के साथ-साथ यात्रियों की जान भी खतरे में रहती है। दरअसल, प्रदेश में हवाई सेवाओं के लिए नाम्र्स पर सख्ती से पालन होना चाहिए। वरना यहां फिर कभी बड़ा हादसा हो सकता है।