कोरोना काल में पितृ अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा हरिद्वार में सतयुग से स्थापित यह मंदिर

कोरोना काल में पितृ अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा हरिद्वार में सतयुग से स्थापित यह मंदिर

रिपोर्ट- वंदना गुप्ता
हरिद्वार। सतयुग काल से स्थापित धर्म नगरी हरिद्वार में नारायणी शिला मंदिर को बड़ी से बड़ी विपदा आने के बाद भी भक्तों के लिए बंद नहीं किया गया। मगर ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि, नारायणी शिला मंदिर पितृ अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं के लिए बंद किया जाएगा। क्योंकि इस दिन नारायणी शिला मंदिर में बड़ा मेला लगता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने पितरों की मुक्ति के लिए नारायणी शिला मंदिर में दर्शन करने आते है। मगर हरिद्वार में लगातार कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद नारायणी शिला मंदिर में लगने वाले भव्य मेले को स्थगित कर दिया गया है और साथ ही उस दिन भक्त मंदिर में भगवान नारायण के दर्शन नहीं कर सकेंगे।

नारायण शिला मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज त्रिपाठी का कहना है कि, सतयुग काल से नारायणी शिला स्थापित है। स्कंद पुराण जब लिखी गई उसमें स्कंद महाराज ने उसमें लिखा है कि, हरिद्वार के पश्चिम में नारायणी नाम की शीला स्थापित है। जिसके दर्शन मात्र से ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इससे सिद्ध होता है कि, स्कंद पुराण लिखने से पहले भी नारायणी शिला स्थापित थी, प्रथम बार ऐसा हो रहा है कि, कोरोना काल में भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार सिर्फ कुछ लोग किसी आयोजन में आ सकते हैं। मगर पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन कई हजार श्रद्धालु नारायणी शिला मंदिर में दर्शन करने आते हैं। इस कारण सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर को प्रथम बार मेला स्थगित करके श्रद्धालुओं के लिए बंद किया जा रहा है।

पण्डित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि, पितृ विसर्जन अमावस्या पर हम किसी का भी श्राद्ध कर सकते हैं। जिनके श्राद्ध के बारे में हमें मालूम ना हो इस दिन वह श्राद्ध करके अपने पितरों को विदा करते हैं और जिन लोगों के अपने पितरों के स्थान बने हुए हैं, वह वहां पर पूजा करके उनको विदा करते हैं। इस बार पहली बार ऐसा हो रहा है कि, पितृ अमावस्या के दिन नारायणी शिला मंदिर में अपने पितरों के नियमित पूजा अर्चना नहीं कर पाएंगे। मनोज त्रिपाठी का कहना है कि, नारायणी शिला मंदिर में जो भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करता है, वह अपने 100 पितृ कुल 100 मातृ कुल और स्वयं का मोक्ष कर लेता है यह स्कंद पुराण में वर्णित है।

सतयुग काल से लेकर आज तक नारायणी शिला मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद नहीं किया गया। मगर ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि, कोरोना काल में नारायणी शिला मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए पितरों अमावस्या के दिन बंद किया जाएगा और कोई भी श्रद्धालु अपने पितरों के नियमित मंदिर में आकर पूजा अर्चना नहीं कर सकेगा। मगर मंदिर प्रबंधक द्वारा श्रद्धालुओं को मंदिर के दर्शन ऑनलाइन कराने की व्यवस्था की जा रही है। जिससे श्रद्धालु नारायणी शिला मंदिर के दर्शन करके अपने पितरों को मुक्ति दिला सके।