एक्सक्लूसिव: एक रात की बरसात ने खोली निगम की पोल। पूरा शहर हुआ पानी-पानी

एक रात की बरसात ने खोली निगम की पोल। पूरा शहर हुआ पानी-पानी

– सहमी हुई है झोपड़ी बारिश के खौफ से,
महलों की आरज़ू है कि बरसात तेज हो।।

रिपोर्ट- संदीप चौधरी
रुड़की। भले ही जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए लाख दावे होते हो लेकिन इन दावों की हकीकत बरसात की एक बारिश खोलकर रख देती है। मोटा बजट पानी निकासी के लिए आवंटन किया जाता है लेकिन वो बजट बारिश की तेज बहाव में अक्सर बहता हुआ नजर आता है। निगम और जनप्रतिनिधियों के दावों की हकीकत अगर जाननी हो तो तालाब में तब्दील हुआ रुड़की शहर ही काफ़ी है।

सहमी हुई है झोपड़ी, बारिश के खौफ से, महलों की आरज़ू है, कि बरसात तेज हो। जी हां आसमान से बरसती बारिश किसी के लिए राहत तो किसी के लिए आफत बनकर आती है। हालात तब खराब हो जाते है जब बारिश के पानी की निकासी का साधन ना हो और बारिश के पानी ने लोगो के घरों में घुसकर तबाही मचाई। कुछ ऐसा ही नजारा शिक्षानगरी रुड़की का देखने को मिलता है जहां हल्की सी बारिश जलभराव की समस्या उतपन्न कर देती है, और अगर बारिश ज्यादा हो जाए तो ये नगरी तालाब में तब्दील हो जाती है। लोगो के घरों और दुकानों में बारिश का पानी खूब तबाही मचाता है लेकिन बेबस इंसान अपनी आँखों के सामने ही ये मंजर देखने को मजबूर होता है।

शिक्षानगरी के नाम से मशहूर रुड़की शहर की सबसे बड़ी समस्या जलभराव की है। जहां प्रत्येक वर्ष बरसात का पानी लोगो का जीना मुहाल करता है। निगम अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा हर साल इस बड़ी समस्या से छुटकारा दिलाने के लाख दावे होते है साथ ही पानी निकासी के लिए नालों की सफाई के लिए लाखो करोड़ो के टेंडर किए जाते है। लेकिन स्थिति जस की तस बनी रहती है। बरसात से पहले नालों की सफाई के लिए मोटी रकम रसूखदारों की जेब गर्म करती है और स्थानीय लोगो के लिए एक बड़ी मुसीबत।

बता दें कि, सोमवार की रात से ही शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने रुड़की शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रो को तालाब में तब्दील कर दिया। रुड़की शहर में भरा पानी जहां राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बना तो वही स्थानीय लोगो और दुकानदारों के लिए एक बड़ी दिक्कत लेकर आया। बारिश का पानी घरों और दुकानों में भरने से लोगो का भारी नुकसान हुआ और स्थानीय व राहगीर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कोसते नजर आए। शहर में कई स्थानों पर लगभग चार फीट तक पानी की नहर बहती दिखाई दी, राहगीर अपनी गाड़ियों को लेकर साइड खड़े दिखाई दिए।

इंसान भले ही कितना चालाक क्यों ना हो लेकिन कुदरत के आगे घुटने टेकने ही पड़ते हैं। अपने होने का एहसास कुदरत समय समय पर कराती रहती है, ये इंसान की नासमझी है कि वह अपने आप को श्रेष्ठ मानकर सब भूल जाता है। रुड़की शहर में भरा बारिश का पानी इस बात का प्रमाण है कि, जनप्रतिनिधियों के खोखले के दावे मात्र हवा हवाई है। कुदरत ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया,लोगो के सामने आगया कि, लाखों करोड़ों खर्च करने के दावे में कितना सच्चाई है। फिलहाल लोग बारिश के पानी के कारण त्रस्त है और अपनी समस्या का समाधान स्वंम तलाश कर रहे है। अब देखने वाली बात ये होगी कि निगम के दावों पर पानी फेरती इस मूसलाधार बारिश से निगम क्या सबक लेता है।