गजब: नैनीताल सीवर प्रोजेक्ट में धांधली के आरोप, 110 करोड़ खर्च फिर भी ओवरफ्लो बंद नहीं

नैनीताल सीवर प्रोजेक्ट में धांधली के आरोप, 110 करोड़ खर्च फिर भी ओवरफ्लो बंद नहीं

नैनीताल। शहर की सीवेज परेशानियों को हल करने के लिए बनी ₹110 करोड़ की सीवर परियोजना में बड़े घोटाले के संकेत सामने आए हैं।

ग्रामीणों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि जहां 900 एमएम डायमीटर के चौड़े सीवर पाइप लगने थे, वहीं ठेकेदार ने पुरानी 600 एमएम पाइपलाइन को ही अंदर से लेयर चढ़ाकर और 2 सेंटीमीटर तक पतला कर दिया। इससे मॉलरोड क्षेत्र में सीवर ओवरफ्लो की समस्या जस की तस बनी हुई है।

गंभीर आरोपों के बाद जिलाधिकारी ललित मोहन रायाल ने तत्काल प्रभाव से एक कमेटी बनाकर जांच के आदेश दे दिए हैं।

कहां हुई गड़बड़ी? क्या था असली प्लान

4 वर्ष पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को उत्तराखण्ड इंटीग्रेटेड एंड रेजीलियेंट अर्बन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (UIRUDP) के तहत विकसित किया जा रहा था।
योजना के अनुसार—

  • मल्लीताल रिक्शा स्टैंड से मॉलरोड व हल्द्वानी रोड होते हुए
  • रूसी बाईपास स्थित नए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (STP)
    तक नई ट्रंक सीवर लाइन बिछाई जानी थी।

कॉन्ट्रैक्ट तिरुपति सीमेंट प्रोडक्ट्स को ₹96.15 करोड़ में दिया गया, जिसकी कुल लागत बढ़कर ₹110 करोड़ बताई गई। प्रोजेक्ट नवंबर 2021 से मई 2025 तक की अवधि के लिए स्वीकृत था, जिसमें सीवेज डेवलपमेंट, नया STP, ट्रंक सीवर, allied कार्य और 5 साल का ऑपरेशन व मेंटेनेंस शामिल थे। इससे STP की क्षमता बढ़ाकर 17.50 MLD किया जाना था।

पाइप बदलना था, लेकिन पुरानी लाइन ही ‘मरम्मत’ कर दी गई

1982 में 10 हजार की आबादी के हिसाब से 600 mm RCC पाइपलाइन बिछाई गई थी। अब 2 से 5 लाख की आबादी के हिसाब से 900 mm DI पाइप लगाने का टेंडर जारी किया गया था।

लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि—

  • ठेकेदार ने पुरानी लाइन को ही अंदर से रिपेयर कर दिया
  • नई 900 mm पाइप डालने की बजाय ‘इनर कोटिंग’ कर उसका आकार और कम कर दिया
  • नतीजा, पाइप का डायामीटर बढ़ने के स्थान पर 2 सेंटीमीटर घट गया
  • इसलिए मॉलरोड में सीवर ओवरफ्लो आज भी जारी है।

स्थानीय लोग इसे अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से हुआ बड़ा खेल बता रहे हैं।

STP भी गलत जगह बना—70% बनने के बाद भूस्खलन ने रोका काम

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि STP को जिस स्थान पर बनाया गया, वह पहले से ही भूस्खलन क्षेत्र था।
परिणाम

  • 70% निर्माण पूरा होने के बाद अचानक भारी भूस्खलन हो गया
  • पूरी संरचना खतरे में आ गई
  • अब प्रशासन STP के लिए नई जगह तलाशने में जुटा है।

लोगों में रोष, उच्च स्तरीय जांच की मांग तेज

सीवर लाइन खराब होने से मॉलरोड और लोअर शहर में ओवरफ्लो, दुर्गंध, स्वास्थ्य जोखिम, पर्यटन प्रभावित होने जैसी समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं।

ग्रामीण और शहरवासी खुलकर कह रहे हैं कि, “₹110 करोड़ कहां खर्च हुए? पाइप बदले ही नहीं गए, ये तो खुली ठगी है।”

जिलाधिकारी द्वारा जांच आदेश जारी होने के बाद लोगों ने उम्मीद जताई है कि इस प्रोजेक्ट की पूरी सच्चाई सामने आएगी।