प्रधानाचार्य विभागीय परीक्षा पर फिर रोक, शासन ने आयोग से वापस मांगा प्रस्ताव
देहरादून। उत्तराखंड में राजकीय इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्य पदों पर भर्ती की प्रक्रिया एक बार फिर ठप पड़ गई है। शासन ने प्रस्तावित प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा को फिलहाल रोक दिया है। शिक्षा विभाग ने राज्य लोक सेवा आयोग को परीक्षा संबंधी प्रस्ताव वापस भेजने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
शासन की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 के आदेश के अनुपालन में न्याय विभाग से परामर्श लिया जा रहा है। इसलिए आयोग से कहा गया है कि फिलहाल भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया को रोक दिया जाए। निर्णय के बाद आयोग को अलग से अवगत कराया जाएगा।
बताया गया कि यह परीक्षा 8 फरवरी 2026 को प्रस्तावित थी। इस परीक्षा के माध्यम से इंटर कॉलेजों में खाली पड़े प्रधानाचार्य पदों को भरा जाना था। प्रदेश में कुल 1385 पदों में से 1184 पद खाली हैं। इनमें से 50 प्रतिशत पदों को सीमित विभागीय परीक्षा के जरिए भरने का निर्णय हुआ था।
शिक्षकों का विरोध बना बड़ी वजह
राजकीय शिक्षक संघ लगातार इस परीक्षा का विरोध कर रहा था। संघ का कहना है कि परीक्षा सेवा नियमावली और वरिष्ठता के सिद्धांतों के विरुद्ध है। शिक्षकों ने 1 नवंबर को शिक्षा मंत्री आवास कूच का एलान भी किया है।
संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि कार्मिक सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कुछ मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन आदेश जारी न होने तक आंदोलन जारी रहेगा।


 
                    