IFS संजीव चतुर्वेदी केस में 16 जजों ने बनाई दूरी, अब खुद मुख्य न्यायाधीश करेंगे सुनवाई!
- एम्स में भ्रष्टाचार उजागर कर चर्चित हुए व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी के मामलों से 16 न्यायाधीशों का अलग होना बना ‘अनोखा रिकॉर्ड’
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में वरिष्ठ भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी और व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी के मामले में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र ने चतुर्वेदी की केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के खिलाफ अवमानना याचिका की सुनवाई के लिए अपनी अध्यक्षता में नई पीठ का गठन किया है।
यह फैसला तब लिया गया जब अदालत के 16 न्यायाधीश अब तक इस अधिकारी से जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ अब 30 अक्टूबर को कैट और उसकी रजिस्ट्री के सदस्यों के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करेगी।
बता दें कि 8 अक्टूबर को न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने इस मामले से खुद को अलग किया था। इससे पहले 15 अन्य न्यायाधीश, जिनमें न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी, राकेश थपलियाल और मनोज कुमार तिवारी शामिल हैं, पहले ही ऐसे मामलों की सुनवाई से दूरी बना चुके थे।
दिल्ली के एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) रहते हुए भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण व्हिसलब्लोअर के रूप में चर्चित हुए चतुर्वेदी लंबे समय से सरकारी एजेंसियों और न्यायिक संस्थानों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
चतुर्वेदी का कहना है कि यह देश का पहला मामला है, जहां एक ही व्यक्ति से जुड़े मामलों से इतनी बड़ी संख्या में न्यायाधीशों ने खुद को अलग किया है। उन्होंने बताया कि इससे पहले माफिया अतीक अहमद के केस में 10 जजों ने खुद को अलग किया था, लेकिन उनके मामले में यह संख्या 16 तक पहुंच गई।
वर्तमान अवमानना मामला 17 अक्टूबर 2024 को शुरू हुई उस कार्यवाही से जुड़ा है, जब कैट ने उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया था।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 7 अक्टूबर 2025 तक मामले पर रोक लगाई थी, लेकिन इसके बावजूद कैट ने 12 सितंबर 2025 को एक वरिष्ठ अधिवक्ता को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी। इसी पर आपत्ति जताते हुए चतुर्वेदी ने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।