बिग ब्रेकिंग: इस मामले में याचिकाकर्ता को दस दिन के भीतर प्रतिउत्तर दाखिल करने के निर्देश

इस मामले में याचिकाकर्ता को दस दिन के भीतर प्रतिउत्तर दाखिल करने के निर्देश

नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नैनीताल के तत्कालीन जिलाधकारी सविन बंसल द्वारा बाढ़ राहत कार्यों में घोर लापरवाही, रिहायशी और ग्रामीण क्षेत्रों में एन.जी.टी. और उच्च न्यायलय के आदेशों के विरुद्ध खनन भंडारण की अनुमति देने के खिलाफ याचिका में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा है कि उनको जो शपथपत्र राज्य सरकार की तरफ से दिया गया है, उसका प्रतिउत्तर दस दिन के भीतर दाखिल करें।

वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ से याची भुवन पोखरिया ने कहा कि पूर्व में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा उनके क्षेत्र में एन.जी.टी.और उच्च न्यायलय के आदेशों का अनुपालन नहीं किया।

जब उनकी पत्नी बी.डी.सी.सदस्य थी तो उनके सहयोग से सभी क्षेत्रवासियों ने ईसका घोर विरोध किया था। कहा कि स्टोन क्रशर लगने पर कई लोगो के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा।

जिलाधिकारी ने मामले को अति गम्भीर न मानते हुए दबा दिया और पोखरिया का लाइसेंसी शस्त्र मालखाने में जमा कराने के आदेश दे दिये। इन अधिकरियो से पीड़ित होकर उनके द्वारा उच्च न्यायलय में याचिका दायर की गई।

अपनी याचिका में उन्होंने राज्य सरकार, कमिश्नर कुमायूं, सचिव कार्मिक और पूर्व जिलाधकारी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा।

मामले के अनुसार हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने खुद अपने केस की पैरवी करते हुए याचिका में कहा कि नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपने कार्यकाल के दैवीय आपदा से बचाव की दशा में घोर लापरवाही की गई थी, यही नही उन्होंने रिहायशी और ग्रामीण क्षेत्रो में एन.जी.टी.और उच्च न्यायलय के आदेशों के विरुद्ध जाकर खनन भंडारण की अनुमति दी गयी।

याचिका में कहा गया कि जिलाधिकारी ने अपने कार्यकाल के दौरान बाढ़ प्रभावित क्षेत्र चोरलगिया का दौरा किया और पीड़ितों को बाढ़ से बचाने का अस्वाशन दिया। लेकिन उन्होंने न तो बाढ़ शुरक्षा के लिए कोई कार्य किया और न ही बजट स्वीकृत किया। जबकि दैवीय आपदा से निबटने के लिए बजट पड़ा हुआ था।

2020 में ये सारे साक्ष्य एकत्रित कर एक शपथपत्र देकर सचिव कार्मिक से शिकायत की। शासन ने उनकी शिकायत का संज्ञान लेते हुए इसकी जांच कमिश्नर कुमाऊं को सौप दी और रिपोर्ट पेश करने को कहा।

चार साल बीत जाने के बाद भी जाँच पूरी नही हुई। जाँच को लेकर उन्होंने आर.टी.आई. मांगी लेकिन उन्हें आर.टी.आई. का जवाब नही दिया गया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर उन्हें शासन ने क्लीन चिट दे दी है तो उसकी प्रति उन्हें भी दी जाय नहीं तो जाँच में क्या हुआ इसकी रिपोर्ट दी जाय।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में चीफ सेकेट्री, सेकेट्री, कार्मिक, कमिश्नर कुमाऊं और तत्कालीन जिलाधिकारी सविन बंसल को पक्षकार बनाया है।