गुड़ न्यूज़: उत्तराखंड की बेटी ने निष्पक्ष पत्रकारिता में हासिल की पीएचडी की उपाधि

उत्तराखंड की बेटी ने निष्पक्ष पत्रकारिता में हासिल की पीएचडी की उपाधि

 

– मध्यप्रदेश के राज्यपाल द्वारा महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान की गई डिग्री प्रदान

देहरादून। एक ओर जहां उत्तराखंड पलायन के नाम से जाना जाता है। यही कहा जाता है कि, पहाड़ों से लगातार पलायन हो रहा है लोग बाहर जाकर बसने लगें है काम करने लगे है। इन सभी बातों के मध्य रहते हुए देवभूमि उत्तराखंड में ग्राम धारावली जिला देहरादून की बेटी डॉ आशा बाला को मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान डिग्री प्रदान की गई है।

डॉ आशा बाला की डिग्री देते मध्यप्रदेश के राजपाल लालजी टंडन
    डॉ आशा बाला की डिग्री देते मध्यप्रदेश के राजपाल लालजी टंडन

जानकारी के लिए बता दें कि, डॉ आशा उत्तराखंड से पहली महिला हैं, जिन्होंने मध्यप्रदेश में रहकर निडर, सशक्त व निष्पक्ष पत्रकारिता में अपना व अपने प्रदेश का सिर ऊंचा किया और पत्रकारिता में पीएचडी की डिग्री हासिल की है।महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय सतना मध्य प्रदेश के अष्टम दीक्षांत समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय में किया गया था, जहां एमपी के राजपाल ने उन्हें डिग्री देकर सम्मानित किया। साथ ही शोध उपाधि धारकों को उपाधि प्रदान की गई।

 

देहरादून और उत्तराखंड से पत्रकारिता एवं जनसंचार में एकमात्र उपाधिधारक डॉ आशा बाला असवाल को पत्रकारिता में विश्वविद्यालय के चांसलर और राज्यपाल मध्य प्रदेश लालजी टंडन द्वारा पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।बता दें कि, डॉ आशा बाला असवाल पूर्व में एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकी है और उन्होंने उत्तराखंड के कई कॉलेजों में अध्यापन का कार्य करने के साथ ही वह विभागाध्यक्ष भी रही हैं।

डॉ आशा बाला असवाल को प्राप्त हुई पीएचडी की डिग्री
             डॉ आशा बाला असवाल को प्राप्त हुई पीएचडी की डिग्री

जानकारी देते हुए आशा ने बताया कि, विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र व्यास के मार्गदर्शन में मैंने अपनी पीएचडी संपन्न की। टॉपिक आध्यात्मिक चैनलों में प्रस्तुतियों के स्वरूप और प्रभाव का विश्लेषणात्मक अध्ययन है। इसमें तीनों धर्म हिंदू, मुस्लिम और ईसाई के धार्मिक चैनलों के प्रभाव का अध्ययन मेरे द्वारा किया गया है। अगर मैं आज इस मुकाम पर पहुंची हूँ तो इसका श्रेय प्रोफेसर वीरेंद्र व्यास को जाता है।