40 वर्ष पूर्व बसी कालोनी दो दिन में ध्वस्त। गफलत में रह गए नगीना के लोग
लालकुआं। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद लालकुआं में रेलवे भूमि पर से अतिक्रमण हटाने का काम जारी रहा। दूसरे दिन भी अतिक्रमण हटाने को लेकर कार्रवाई चली, अतिक्रमणकारियों के खिलाफ रेलवे और जिला प्रशासन का संयुक्त अभियान चलता रहा।
रेलवे विभाग द्वारा पुलिस प्रशासन के सहयोग से नगीना कालोनी में चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान दूसरे दिन भी जारी रहा। अतिक्रमण हटा रही चार जेसीबी, दो पोकलेंड व भारी पुलिस बल को देखकर कब्जा धारक खुद अपने घरों को खाली कर रहे थे। इसी के साथ 40 वर्ष पूर्व बसी कालोनी दो दिन में ध्वस्त हो गई।
अब 26 मई को चलेगा अतिक्रमण हटाओ अभियान
रेलवे विभाग ने गुरुवार को सेंचुरी पेपर मिल के आवासीय क्षेत्र की दीवार से सटे करीब पांच दर्जन घरों में नोटिस चस्पा कर सात दिन में अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए है।
सहायक मंडल इंजीनियर रेलवे सुबोध थपलियाल ने बताया कि अगर ग्रामीणों ने खुद अतिक्रमण नहीं हटाया तो सात दिन बाद यानि 26 मई को रेलवे द्वारा बलपूर्वक अतिक्रमण हटाया जाएगा। इसके साथ ही अन्य बचे अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा।
बताते चलें कि आज दूसरे दिन भी भारी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ जेसीबी और पोकलैंड मशीनों के माध्यम से कच्चे पक्के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी रही। अतिक्रमण हटाने का दूसरे दिन भी लोग विरोध कर रहे हैं।
लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सख्त रवैए के सामने अतिक्रमणकारियों की एक नहीं चली वहीं दूसरे दिन भी रेलवे ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सैकड़ों मकानों पर बुलडोजर चलाये रखा जिसमें सैकड़ों की संख्या में मकान को ध्वस्त किया गया।
अतिक्रमण हटाओ अभियान में सीओ हल्द्वानी भुपेंद्र सिंह धौनी, सीओ लालकुआं संगीता, तहसीलदार सचिन कुमार, सहायक मंडल इंजीनियर रेलवे सुबोध थपलियाल, सीनियर सैक्शन इंजीनियर रेलवे रोशन लाल जयशवाल, गौरव गौतम, कोतवाल डीआर वर्मा, उपनिरीक्षक नीरज भाकुनी, प्रमोद पाठक, नंदन रावत, विमल मिश्रा, भगवान सिंह महर, महेश जोशी, मनोज नयाल के साथ ही जनपद के तमाम थानों का पुलिस बल, महिला पुलिस, पीएसी की एक प्लाटून, फायर बिग्रेड, एंबुलेंस, गुप्तचर विभाग व विद्युत विभाग की टीम मौजूद रही।
गफलत में रहे नगीना कॉलोनी के वाशिंदे
लालकुआं की नगीना कॉलोनी को मटियामेट करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। तमाम कच्चे-पक्के मकान धराशाई हो चुके हैं, तो शेष बचे मकान भी जल्दी से मलबे के ढेर में तब्दील हो जाएंगे बस रह जाएंगी तो मजदूरों की आहे गरीबों का दर्द और खून पसीने की कमाई से बनाए गए।
आशियाने का जमींदोज हो जाने का कभी ना भूलने वाला जख्म लेकिन नगीना कॉलोनी की पृष्ठभूमि पर जाए तो पता चलता है कि यहां के लोग भली-भांति जानते थे कि वे रेलवे की भूमि में बसे हुए हैं कहीं पर भी उनका मालिकाना हक नहीं है।
लेकिन नेताओं के आश्वासन और विकास कार्यों का धरातल पर उतरना उन्हें इस बात को लेकर बेफिक्र करता गया कि, जब सरकारी योजनाएं और सरकारी धन उनके क्षेत्र में खर्च हो रहा है तो फिर उन्हें बेदखल नहीं किया जाएगा।
इसी के भरोसे सैकड़ों कच्चे-पक्के मकान बनते चले गए लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई को मकान बनाने में खर्च कर दिया और अपने तथा अपने परिवार की परवरिश कर समाज की मुख्यधारा में कदम रखा उक्त स्थान पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राइमरी पाठशाला खोली गई। जहां वर्तमान में 65 बच्चे अध्ययनरत हैं इस पर भी खतरा मंडरा रहा है।
हालांकि स्कूल प्रबंधन द्वारा इसे न तोड़े जाने की अपील की है इसके अलावा यहां एएनएम सेंटर सामुदायिक विकास भवन भी बनाया गया और नगीना कॉलोनी की ही सरहद पर एक अन्य प्राइमरी स्कूल भी यहां बताया जा रहा है बहरहाल जनप्रतिनिधियों द्वारा यहां पर सीसी मार्ग के अलावा बिजली पानी की भी व्यवस्था मुहैया कराई मूलभूत सुविधाएं प्रदान किए जाने के बाद लोगों को लगा कि, शायद धीमे-धीमे उन्हें इस जगह का मालिकाना हक भी मिल जाएगा।
जो उनकी अपनी बुद्धि विवेक से सोचा गया निर्णय नहीं था बल्कि नेताओं के आश्वासन से बनाया गया एक ख्याली पुलाव था इस स्थान पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत 2011 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री द्वारा प्राइमरी पाठशाला का लोकार्पण किया गया जो तमाम सुविधाओं से सुसज्जित है ।
इस स्कूल में फर्नीचर की बेहतरीन व्यवस्था है इसके अलावा बिजली पानी तथा पंखे का भी पर्याप्त इंतजाम है एक ऐसी व्यवस्था जो पब्लिक स्कूल की व्यवस्थाओं को भी आईना दिखाती है इसके अलावा यह लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी अच्छी पकड़ रखते हैं।
एक बड़ी तादाद में यहां पर मतदाताओं की संख्या है इनके अपने राशन कार्ड बने हैं और ऊपर से सरकारी सुविधाएं भी इनको बराबर मिल रही थी मुख्यमंत्री सहायता कोष से भी इन लोगों पर जमकर मेहरबानी की गई।
समय-समय पर इन को हटाने का फरमान भी मिला लेकिन इनकी सोच और रेलवे के फरमान के बीच नेता दीवार बनकर खड़े हो गए और नेताओं का यही रवैया आज उनके बने बनाए आशियाने को जमींदोज करने का प्रमुख कारण बना ।