आखिर किसको मानते है सीएम बाहरी और घुसपैठिया
रुद्रपुर। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एनआरसी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि, बिना राजनैतिक सहमति के एनआरसी लागू करने के बयान की वह कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। किसी भी राजनैतिक दल या सरकार को समाज को बांटने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। असम के बाद अब देश में एनआरसी की जरूरत कहीं नहीं है।
सोमवार को एक होटल में पत्रकार वार्ता में हरीश ने कहा कि, बिना एनआरसी को समझे गैर जिम्मेदाराना बयान दिए जा रहे हैं। सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए एनआरसी लागू करने को लेकर बयान दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बताएं कि, वह किसको बाहरी और घुसपैठिया मानते हैं। भाजपा के एक विधायक ने एक साल पहले उत्तराखंड में रोहिंग्या लोगों की घुसपैठ की बात कही थी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी कोई रोहिंग्या नहीं मिला है। एनआरसी के नाम पर सिर्फ लोगों को डराने का काम किया जा रहा है।
राज्य में कोई घुसपैठिया नहीं है। नागरिकों की छंटनी का अधिकार किसी को नहीं है। यदि सरकार ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में धनबल और सत्ता का दुरुपयोग करेगी तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर विरोध जताएगी। हाईकोर्ट ने इन चुनावों केे लिए जो गाइडलाइन बनाई है, सरकार उसे पूरी तरह से लागू करे। हरीश ने भाजपा पर आरोप लगाया कि, पंचायत चुनाव में भाजपा की देखरेख में शराब और पैसा बंटने से वह चिंतित हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण भी सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। जो आरक्षण चुनाव से पहले घोषित किया जाना था, वो अब हो रहा है। जो नीतिगत तरीके से गलत है। डेंगू की रोकथाम में सरकार फेल साबित हुई है। रोजाना डेंगू से लोगों के मरने के समाचार मिल रहे हैं। ब्लड सैपरेटर और टेस्टर की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से लोगों को महंगा इलाज कराना पड़ रहा है।
हरीश ने कहा कि, तराई भाबर की कानून व्यवस्था खराब होना चिंता का विषय है। पूर्व विधायक प्रेमानंद महाजन ने कहा कि, एक तरफ सीएम एनआरसी लागू करने की बात कह रहे हैं, वहीं उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्री एनआरसी लागू होने पर राजनीति से सन्यास लेने की बात कह रहे हैं। शरणार्थियों को डराने का काम हो रहा है। वहां पर पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा, पुष्कर राज जैन, बबीता बैरागी, अनिल शर्मा आदि मौजूद रहे।