कांग्रेस के पतन का कारण बने कांग्रेसी। इस बार होगा “अब की बार-निर्दलीयों पर वार” का नारा

कांग्रेस की हार के पीछे कांग्रेसी। इस बार होगा “अब की बार-निर्दलीयों पर वार” का नारा

रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल
यमकेश्वर। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं। सभी दलों ने पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। इसके तहत प्रत्याशियों की ओर से भी दावेदाारियां प्रस्तुत कर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है।

चुनावी जनसभाओं का दौर भी शुरू हो चुका है, और राजनीतिक दलों के द्वारा जनता को अपने पक्ष में मतदान करने करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने प्रदेश में चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में ले रखी है और जगह-जगह चुनावी रैली कर लोगों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील भी कर रहे हैं।

वही यमकेश्वर विधानसभा के डाडामंडी में आयोजित चुनावी सभा में हरीश रावत की मौजूदगी में कांग्रेस नेता शैलेंद्र रावत ने मंच से यह नारा और बयान दिया कि, “अबकी बार निर्दलीयों पर वार” यह नारा कोई चुनावी नारा नहीं था, इस नारे के पीछे 2017 में हुई हार का दर्द था।

क्योंकि गढ़वाल मंडल की यमकेश्वर विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है, जिस पर कांग्रेस पिछले 20 वर्षों से एक भी बार जीत हासिल नहीं कर पाई। लोगो का मानना है कि, इस सीट पर कांग्रेस की हार के पीछे कांग्रेस ही होती है क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी हमेशा चरम पर होती है। जो चुनाव के समय पर खुलकर सामने आती है।

वहीं कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि, अगर कांग्रेस के नेता बागी होकर निर्दलीय चुनाव न लड़े और एकजुट होकर चुनाव लड़े तो निश्चित रूप से कांग्रेस यमकेश्वर विधानसभा में अपना जीत का परचम लहराती। 2017 के चुनावी आंकड़े यही कहानी बयां करते हैं।

जहां भाजपा के टिकट पर विजय हुई रितु भूषण खंडूरी को 19,671 मत मिले, वहीं कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ी रेनू बिष्ट को 10,690 और कांग्रेस के शैलेंद्र रावत को 10,283 मत मिले। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट हो जाता है कि, अगर कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़ती तो आज यह सीट कांग्रेस की झोली में होती।

यही कारण है भाजपा छोड़ कांग्रेस के टिकट पर हार देख चुके शैलेंद्र रावत को यह बयान देना पड़ गया कि, “अबकी बार निर्दलीयों पर वार” क्योंकि इस बार भी यमकेश्वर विधानसभा में कांग्रेस से दो और उम्मीदवार अपनी सशक्त दावेदारी पेश कर रहे हैं। जिनमें प्रमुख हैं द्वारीखाल ब्लॉक प्रमुख महेंद्र राणा और दुगड्डा ब्लाक प्रमुख रुचि कैंतूरा।

जहां महेंद्र राणा अपने आप को स्थानीय होने का दावा कर विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं और अपने विकास कार्य को गिनाते हुए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। वही ब्लाक प्रमुख रुचि कैंतूरा भी यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं की अधिक संख्या होने का दावा कर कांग्रेस की एकमात्र महिला कैंडिडेट होने के नाते टिकट की दावेदारी कर रही है।

भले ही कांग्रेस के तीनों कैंडिडेट एकजुट होकर कांग्रेस को जिताने की बात कर रहे हो। मगर जिस प्रकार शैलेंद्र रावत नारा दे रहे हैं “अबकी बार निर्दलीयों पर वार” इससे यह लगता है कि, कांग्रेस के अंदर टिकट की दावेदारी का संघर्ष चरम पर है या फिर शैलेन्द्र रावत को बगावत की महक आने लगी है। जिसको रोकने की कोशिश वे अपने बयानों से करते नजर आ रहे हैं।