गांव में बचे तीन बुजुर्ग महिला, युवा व पुरुष विहीन हुआ गांव
– ग्राम सभा से 25 किलोमीटर दूर है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
– तीन किलोमीटर दूर है सड़क, चढ़ाई चढ़कर पहुँचना पड़ता है सड़क तक
रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल
एकेश्वर। बात यदि पलायन की हो तो पौड़ी गढ़वाल का नम्बर सबसे पहले आता है, जबकि इसी पौड़ी के कई दिग्गज केंद्र सरकार व राज्य सरकार व बड़ी-बड़ी पोस्टों पर विराजमान है।
आखिर इस पौड़ी को क्या मिला? आज पलायन का दंस झेल रहे हैं पौड़ी के कई गांव, कई गांव में 1 व 2 परिवार बच गए हैं, तो कई गांव युवा विहीन व पुरुष विहीन हो गए हैं।
आज हम आपको विकास खंड एकेश्वर के ग्राम सालकोट के गडोली टल्ली गांव की कहानी सुना रहे हैं, यहाँ पर अब केवल तीन बुजुर्ग महिला ही रहते हैं। कभी-कभी इनके बच्चे गांव आते हैं, तभी रौनक बनती है। अन्यथा बात करने के लिए कभी कोई नही मिलता।
ग्रामीण बुजुर्गों का कहना है कि, यहाँ पर जंगली जानवरों का आतंक छा रखा है, जान जोखिम में डालकर हम गांव में रह रहे हैं।
यदि हमारे गांव में सड़क होती तो शायद गांव को छोड़कर सभी लोग नही जाते, आज भी सड़क तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर पैदल चढ़ाई चढ़कर जाना पड़ता है।
सालकोट ग्राम सभा में आते है 5 गांव
● पहला सालकोट जिसमे 7 परिवार 25 जनसंख्या
● गडोली मल्ली 3 परिवार 6 लोग
● गडोली टल्ली 3 परिवार 3 लोग वो भी बुजुर्ग महिला
● वीरों मल्ला 6 परिवार 15 लोग
● वीरों तल्ला 4 परिवार 13 लोग
यानी कि, पूरी ग्राम सभा में 23 परिवार है और टोटल जनसंख्या 62 है। यहां बड़ी बात है कि, खुद ग्राम प्रधान भी अकेले ही निवास करते हैं, उनके बच्चे भी देहरादून रहते हैं।
लेकिन बुजुर्गों का कहना है कि, इ ग्राम प्रधान ही इमरजेंसी में दवाई आदि से उनकी देखभाल करते हैं।