एंजेल चकमा हत्याकांड से देशभर में आक्रोश। परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, NHRC–NCST का संज्ञान। SSP ने नस्लीय एंगल से किया इनकार
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र एंजेल चकमा की हत्या का मामला अब केवल राज्य स्तर तक सीमित नहीं रहा। यह प्रकरण राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक, सामाजिक और मानवाधिकार बहस का विषय बन चुका है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक ने मामले को उठाते हुए राज्य सरकार को घेरा है। वहीं, एंजेल चकमा के पिता तरुण प्रसाद चकमा के दर्दभरे बयान ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
“मेरे बेटे ने कहा– पापा मुझे बचा लो” : पिता का दर्द
एंजेल चकमा के पिता तरुण प्रसाद चकमा, जो वर्तमान में बीएसएफ में मणिपुर में तैनात हैं, ने मीडिया के सामने कहा कि वे नहीं चाहते कि उनके बेटे के साथ जो हुआ, वह किसी और के साथ हो।
उन्होंने बताया कि 9 दिसंबर की शाम करीब 6:30 बजे उनके छोटे बेटे माइकल का फोन आया। उसने रोते हुए बताया कि गांव के कुछ लड़कों ने उसके बड़े भाई एंजेल पर हमला कर दिया है और वह अस्पताल में भर्ती है। माइकल ने एंजेल की हालत की तस्वीरें भी भेजीं, जिन्हें देखकर वह टूट गए।
देहरादून पहुंचने पर उन्होंने अस्पताल में बेटे को गंभीर अवस्था में देखा। “उसका बायां हाथ और पैर पैरालाइज हो चुका था। पीठ में दो बार चाकू मारा गया था। सिर से खून बह रहा था। मेरा बेटा कह रहा था– पापा मुझे बचा लो।”– तरुण प्रसाद चकमा, पिता
CCTV में दिखा पूरा घटनाक्रम
तरुण प्रसाद चकमा के अनुसार, सेलाकुई थाने में पुलिस के साथ CCTV फुटेज देखने पर साफ दिखा कि एंजेल बाइक पर बैठा था और माइकल पास में फोन पर बात कर रहा था। दोनों सब्जी लेने गए थे।
तभी स्कूटी और बाइक से आए 6 युवक वहां पहुंचे। बातचीत के दौरान माइकल पर नस्लीय टिप्पणी की गई। जब माइकल ने कहा, “हम भी इंडियन हैं” तो विवाद बढ़ गया।
पहले माइकल पर हमला हुआ। जब एंजेल उसे बचाने आया, तो उस पर चाकू से वार, सिर पर लात और गर्दन पर घातक प्रहार किया गया। एंजेल लहूलुहान होकर गिर पड़ा।
पुलिस पर FIR में देरी का आरोप
एंजेल के पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे के दोस्त जब सेलाकुई थाने FIR दर्ज कराने गए, तो पुलिस ने इसे मामूली झगड़ा बताकर टाल दिया। बाद में परिवार के हस्तक्षेप के बाद ही मुकदमा दर्ज किया गया।
SSP देहरादून का पक्ष
SSP अजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, घटना 9 दिसंबर की शाम 6 से 7 बजे के बीच लिकर शॉप के पास हुई। 6 युवक एक आरोपी की बर्थडे पार्टी के लिए जुटे थे।
बातचीत के दौरान गलतफहमी में हाथापाई हुई। हीट ऑफ द मोमेंट में कड़े और चाकू से हमला हुआ। एंजेल की स्पाइन की नस पर चोट लगने से वह ब्रेन डेड हो गया
SSP ने स्पष्ट कहा कि, नस्लीय टिप्पणी का कोई ठोस प्रमाण जांच में सामने नहीं आया है। FIR में देरी के आरोपों से भी उन्होंने इनकार किया।
NHRC और NCST का दखल
इस मामले में अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड सरकार, देहरादून DM और SSP को नोटिस जारी किया है।
- 7 दिन में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई
- उत्तराखंड के मुख्य सचिव और DGP को पूर्वोत्तर के छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश
इससे पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) भी इस मामले को गंभीर और शर्मनाक बताते हुए नोटिस जारी कर चुका है।
गिरफ्तार आरोपी
अब तक इस हत्याकांड में 6 आरोपी सामने आए हैं।
- अविनाश नेगी (25) – सहसपुर, देहरादून
- सुमित (25) – तिलवाड़ी, देहरादून
- सूरज खवास (18) – मणिपुर निवासी
- 2 नाबालिग – बाल सुधार गृह भेजे गए
- यज्ञराज अवस्थी (22) – नेपाल निवासी, फरार (₹1 लाख इनाम)
NESO की सख्त मांग
नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (NESO) ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर दोषियों को फांसी,
नॉर्थ ईस्ट के लोगों के लिए स्पेशल पुलिस स्टेशन,
एंटी-रेसिज्म कानून लागू करने की मांग की है।
एंजेल चकमा हत्याकांड अब केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर के छात्रों की सुरक्षा, नस्लीय भेदभाव और पुलिस जवाबदेही से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है।
SIT जांच, NHRC–NCST की निगरानी और बढ़ते जनआक्रोश के बीच आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासों की संभावना है।


