मसूरी वन प्रभाग से 7,375 पिलर गायब। हाईकोर्ट ने CBI, केंद्र व राज्य सरकार को भेजा नोटिस
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी वन प्रभाग से सात हजार से अधिक वन सीमा पिलरों के गायब होने और इसमें वनाधिकारियों की संदिग्ध भूमिका को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए CBI, केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
मामले में याचिकाकर्ता नरेश चौधरी ने बताया कि मसूरी वन प्रभाग में वन सीमा चिह्नित करने के लिए हजारों पिलर लगाए गए थे, लेकिन उनमें से करीब 7,375 पिलर रहस्यमय तरीके से गायब हो चुके हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह मामला वनाधिकारियों, राजनीतिक प्रभावशाली लोगों और भूमि माफियाओं के गठजोड़ का परिणाम है।
याचिका के अनुसार, पिलरों के गायब होने के बाद संबंधित स्थानों पर अतिक्रमण किया गया, जिसकी पुष्टि स्वयं वन विभाग की रिपोर्ट में भी हुई है। रिपोर्ट में सामने आया है कि सबसे अधिक पिलर मसूरी और रायपुर रेंज से गायब हुए हैं, जिससे बड़े पैमाने पर वन भूमि को नुकसान पहुंचा है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मामले की निष्पक्ष जांच, दोषियों के खिलाफ विभागीय एवं दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। याचिका में यह भी कहा गया कि शिकायतों के बावजूद वन विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जो दोषियों को बचाने की साजिश की ओर इशारा करता है।
अगस्त 2025 में हुआ था खुलासा
अगस्त 2025 में चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (वर्किंग प्लान) संजीव चतुर्वेदी ने इस मामले का खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि गायब पिलरों की रिपोर्ट दो महीने पहले ही विभाग को सौंप दी गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार
- भद्रीगाड़: 62 पिलर
- जौनपुर: 944 पिलर
- देवलसारी: 296 पिलर
- कैंपटी: 218 पिलर
- मसूरी क्षेत्र: 4,133 पिलर
- रायपुर क्षेत्र: 1,722 पिलर
इस प्रकार कुल 7,375 पिलर गायब पाए गए।
हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए जांच एजेंसियों और सरकारों से जवाब तलब किया है।


