चमोली में भालू का आतंक। स्कूल जा रही छात्राओं पर हमला, दो दिन में तीसरी घटना
चमोली। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार गंभीर होता जा रहा है। ताजा मामला सीमांत चमोली जिले के गोपेश्वर से सामने आया है, जहां स्कूल जा रही छात्राओं पर भालू ने हमला कर दिया। चिंता की बात यह है कि बीते दो दिनों में स्कूली बच्चों पर भालू के हमले का यह तीसरा मामला है।
मंगलवार सुबह राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गोपेश्वर के पास स्कूल जा रही छात्राओं पर अचानक भालू ने हमला कर दिया। इस घटना में छात्रा राधिका रावत बाल-बाल बच गई, जबकि एक अन्य छात्रा भालू से बचने के प्रयास में भागते समय गिरकर बेहोश हो गई।
अस्पताल में भर्ती, हालत स्थिर
घटना के तुरंत बाद दोनों छात्राओं को जिला अस्पताल गोपेश्वर में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों द्वारा उनका उपचार किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार दोनों छात्राओं की हालत फिलहाल स्थिर बनी हुई है।
इलाके में दहशत, अभिभावकों में आक्रोश
घटना की सूचना मिलते ही स्कूल प्रशासन, स्थानीय लोग और अभिभावक मौके पर पहुंचे। भालू की लगातार सक्रियता से क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
अभिभावकों ने स्कूल के आसपास वन विभाग की नियमित गश्त, बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस इंतजाम और स्थायी समाधान की मांग की है।
दो दिनों में तीसरा हमला
चमोली जिले में भालू के हमले लगातार सामने आ रहे हैं।
- पोखरी विकासखंड में स्कूल से घर लौट रहे एक बच्चे पर भालू ने हमला किया।
- उसी क्षेत्र में दो भालू स्कूल परिसर में घुस गए, जहां एक और बच्चा घायल हुआ।
- नारायणबगड़ विकासखंड के ग्राम मरोड़ा में भालू ने जसपाल सिंह नामक युवक पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया।
स्कूल समय में बदलाव
इस मामले पर मुख्य शिक्षा अधिकारी श्रीकांत पुरोहित ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर—
- 15 जनवरी तक स्कूलों का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक किया गया है।
- आंगनबाड़ी केंद्र 10 से 1 बजे तक ही संचालित होंगे।
- बच्चों को समूह में स्कूल भेजने और सीटों के पुनर्विन्यास के निर्देश दिए गए हैं।
वन मंत्री का बयान
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस मामले में सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि सड़क किनारे फेंके गए कचरे का उचित निस्तारण किया जाएगा, क्योंकि कचरा जंगली जानवरों को आबादी की ओर आकर्षित करता है।
कैसे रोका जाए भालू का हमला
विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों से पहले भालुओं की आवाजाही बढ़ जाती है।
- आबादी क्षेत्रों में कचरा जमा न होने दें।
- कचरा निस्तारण की पुख्ता व्यवस्था की जाए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाए।
- फेंसिंग और चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
लगातार हो रहे हमलों ने प्रशासन और वन विभाग की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान कब तक लागू होता है।


