डेढ़ साल बाद पेयजल निगम के चार इंजीनियरों की नौकरी बहाल, आदेश लागू
देहरादून। करीब डेढ़ साल बाद उत्तराखंड पेयजल निगम ने चार अधिशासी अभियंताओं की सेवाएं बहाल कर दी हैं। आरक्षण से जुड़े विवाद के चलते जून 2024 में बर्खास्त किए गए इन इंजीनियरों के पक्ष में आए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को अब निगम प्रबंधन ने लागू कर दिया है।
पेयजल निगम में वर्ष 2005 बैच के अधिशासी अभियंता मुनीष करारा, मुजम्मिल हसन, सुमित आनंद और 2007 बैच की अधिशासी अभियंता सरिता की सेवाएं उस समय समाप्त कर दी गई थीं। आरोप था कि उन्होंने उत्तराखंड में गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी प्राप्त की है।
जांच के बाद हुई थी बर्खास्तगी
मामले की जांच के बाद पेयजल निगम प्रबंधन ने कार्रवाई संबंधी फाइल कार्मिक विभाग को भेजी थी। कार्मिक विभाग के निर्देशों के तहत चारों अभियंताओं का पक्ष सुना गया, लेकिन जवाब संतोषजनक न मानते हुए जून 2024 में उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं।
हाईकोर्ट से मिली राहत
बर्खास्तगी के खिलाफ पीड़ित अभियंताओं ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर अभियंताओं के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत का मानना था कि इतनी लंबी सेवा के बाद कर्मचारियों को नौकरी से निकालना न्यायसंगत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा फैसला
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पेयजल निगम प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन वहां भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया। इसके बाद निगम प्रबंधन को अभियंताओं की सेवाएं बहाल करने के निर्देश मिले।
अलग-अलग शहरों में तैनाती
शुक्रवार को पेयजल निगम ने चारों अधिशासी अभियंताओं की सेवाएं बहाल करते हुए उन्हें अलग-अलग शहरों में तैनाती के आदेश जारी कर दिए।
पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि, “हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में चारों अभियंताओं की सेवाएं बहाल कर दी गई हैं।”
लंबे कानूनी संघर्ष के बाद मिली राहत
करीब डेढ़ साल चले कानूनी संघर्ष के बाद इंजीनियरों की नौकरी बहाल होने से विभागीय कर्मचारियों में भी इसे एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।


