बड़ी खबर: लोकभवन ने लौटाए धर्मांतरण और यूसीसी संशोधन विधेयक

लोकभवन ने लौटाए धर्मांतरण और यूसीसी संशोधन विधेयक

  • तकनीकी खामियों पर राज्यपाल की आपत्ति, सरकार के सामने अध्यादेश या दोबारा सदन में लाने का विकल्प

देहरादून। उत्तराखंड में डेमोग्राफिक चेंज और जबरन धर्मांतरण पर सख्त कानून बनाने की दिशा में धामी सरकार को फिलहाल झटका लगा है।

लोकभवन ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को तकनीकी खामियों के चलते पुनर्विचार के संदेश के साथ सरकार को लौटा दिया है। इसके साथ ही समान नागरिक संहिता उत्तराखंड (संशोधन) विधेयक, 2025 को भी राज्यपाल ने आपत्तियों के साथ वापस भेज दिया है।

धर्मांतरण विधेयक पर क्यों लगी रोक

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 में जबरन धर्मांतरण पर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है।इस विधेयक को 13 अगस्त 2025 को धामी मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और गैरसैंण में आयोजित विधानसभा सत्र के दौरान इसे पारित भी कर दिया गया था।

अगस्त में विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए लोकभवन भेजा गया, लेकिन ड्राफ्ट में कुछ तकनीकी खामियों के चलते लोकभवन ने इसे वापस कर दिया। मंगलवार को यह विधेयक विधायी विभाग को प्राप्त हुआ है।

सरकार के पास अब दो रास्ते

अब राज्य सरकार के सामने इस विधेयक को लागू करने के लिए दो ही विकल्प बचे हैं। अध्यादेश के जरिए कानून लागू किया जाए, या आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक को संशोधन के साथ दोबारा पारित किया जाए।

सूत्रों के अनुसार, धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग इस विधेयक को लेकर सक्रिय है और सरकार इसे अध्यादेश के जरिए लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है, क्योंकि यह सरकार के सबसे अहम विधेयकों में से एक माना जा रहा है।

यूसीसी संशोधन विधेयक भी लौटा

लोकभवन ने समान नागरिक संहिता उत्तराखंड (संशोधन) विधेयक, 2025 को भी वापस लौटा दिया है। इस विधेयक को 20 अगस्त 2025 को गैरसैंण विधानसभा सत्र में पारित किया गया था।

राज्यपाल ने विधेयक की धारा 4 के खंड 3 पर आपत्ति जताई है। लोकभवन का कहना है कि निर्धारित आयु से कम विवाह पर सजा का प्रावधान मूल अधिनियम में पहले से मौजूद है और संशोधन विधेयक में इसे दोबारा शामिल करने से भविष्य में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

दोबारा सदन में जाना तय

यूसीसी संशोधन विधेयक को अब राज्यपाल के संदेश के साथ फिर से विधानसभा में पारित करना अनिवार्य होगा। इस संबंध में विधेयक को गृह विभाग को भी भेजा गया है, ताकि तकनीकी त्रुटियों को दूर कर दोबारा सदन में पेश किया जा सके।

सरकार के लिए अहम हैं दोनों विधेयक

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2025 को सरकार इसलिए भी महत्वपूर्ण मान रही है क्योंकि इसमें जबरन धर्मांतरण पर सबसे सख्त दंडात्मक प्रावधान प्रस्तावित किए गए हैं। वहीं, यूसीसी संशोधन विधेयक सरकार के बड़े सुधारात्मक एजेंडे का हिस्सा है।

अब यह देखना अहम होगा कि सरकार इन विधेयकों को अध्यादेश के जरिए लागू करती है या अगले विधानसभा सत्र में संशोधन के साथ दोबारा पारित कराती है।