सीएम धामी की बैठक में बनी सहमति। अर्द्धकुंभ 2027 होगा दिव्य और अनुशासित, स्नान तिथियाँ घोषित
रिपोर्ट- अमित भट्ट
देहरादून। धार्मिक आस्था और सनातन परंपराओं के केंद्र हरिद्वार में 2027 के अर्द्धकुंभ की तैयारियाँ अब धरातल पर तेज़ी से दिखाई देने लगी हैं। शुक्रवार को डामकोठी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि पहली बार एक मंच पर जुटे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य अर्द्धकुंभ को दिव्य, भव्य और अनुशासित स्वरूप देने के लिए ठोस रोडमैप तैयार करना था। इसी दौरान प्रमुख स्नान तिथियों के विस्तृत कैलेंडर की घोषणा भी कर दी गई।
अखाड़ों ने कहा, कुंभ परंपरा हमारी जिम्मेदारी, सरकार की तत्परता सराहनीय
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद निरंजनी के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने बैठक में स्पष्ट किया कि कुंभ परंपरा के वास्तविक संरक्षक अखाड़े ही हैं और पूरा देश हरिद्वार के अर्द्धकुंभ को नई उम्मीदों के साथ देख रहा है। उन्होंने समय से पहले तैयारियाँ शुरू करने के मुख्यमंत्री के निर्णय की प्रशंसा करते हुए इसे “दूरदर्शी कदम” बताया।
सीएम धामी बोले, अर्द्धकुंभ होगा ‘भव्यतम आयोजन’, सुझावों का पूरा सम्मान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संत समुदाय को भरोसा दिलाया कि उनके हर सुझाव का सम्मानपूर्वक पालन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अर्द्धकुंभ 2027 को बेहतरीन और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाएँ युद्धस्तर पर आगे बढ़ाई जा रही हैं। सीएम ने पुष्टि की कि मेले की औपचारिक शुरुआत 13 जनवरी 2027, मकर संक्रांति को होगी।
पहली बार चार शाही स्नान – परंपरा में ऐतिहासिक विस्तार
बैठक की सबसे बड़ी उपलब्धि रही अर्द्धकुंभ 2027 के लिए चार शाही अमृत स्नानों की घोषणा। संत समाज का यह निर्णय सदियों पुरानी परंपरा में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण विस्तार माना जा रहा है।
मुख्य पर्व स्नान तिथियाँ
- 14 जनवरी 2027 — मकर संक्रांति
- 6 फरवरी 2027 — मौनी अमावस्या
- 11 फरवरी 2027 — बसंत पंचमी
- 20 फरवरी 2027 — माघ पूर्णिमा
चार शाही अमृत स्नान
- 6 मार्च 2027 — महाशिवरात्रि (पहला अमृत स्नान)
- 8 मार्च 2027 — सोमवती/फाल्गुन अमावस्या (दूसरा अमृत स्नान)
- 14 अप्रैल 2027 — मेष संक्रांति/वैशाखी (तीसरा अमृत स्नान)
- 20 अप्रैल 2027 — चैत्र पूर्णिमा (चौथा अमृत स्नान)
अन्य विशेष पर्व
- 7 अप्रैल – नव संवत्सर
- 15 अप्रैल – राम नवमी
संत समुदाय ने स्नान तिथियों के इस विस्तृत कैलेंडर पर हर्ष जताते हुए कहा कि इससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यात्रा योजना बनाना आसान होगा। साथ ही अर्द्धकुंभ को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलने की उम्मीद भी मजबूत हुई है।
2027 का अर्द्धकुंभ धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपरा और उत्तराखंड के विकास का एक अद्वितीय संगम बनने जा रहा है।


