सालों से लंबित पदोन्नतियाँ अब होंगी पूरी, हाईकोर्ट ने सरकार को दिए कड़े निर्देश
नैनीताल। उत्तराखंड के एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं की पदोन्नति से जुड़ी कई याचिकाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट में गुरुवार को एक साथ सुनवाई हुई।
लंबे समय से अधर में लटके इस मामले में कोर्ट की खंडपीठ ने शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति देने और समस्त सेवा लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। फैसले के बाद प्रदेश भर के शिक्षकों में राहत और खुशी की लहर दौड़ गई है।
सालों से लंबित था पदोन्नति का मामला
एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं की प्रमोशन प्रक्रिया पिछले कई वर्षों से लंबित थी। शिक्षक संगठन लगातार मांग कर रहे थे कि प्रधानाचार्य पद को सीधी भर्ती के बजाय पदोन्नति से भरा जाए।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे वर्षों से सेवा में हैं, अनेक शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं, फिर भी उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं दिया गया।
याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के भुवन चंद्र कांडपाल केस का हवाला देते हुए कहा गया कि उसी आधार पर उनकी भी पदोन्नति की जानी चाहिए। इन मामलों में त्रिविक्रम सिंह, लक्ष्मण सिंह खाती सहित अन्य शिक्षकों ने याचिकाएं दायर की थीं।
हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश
31 नवंबर को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार को कड़े शब्दों में कहा कि शिक्षकों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जाए और सभी लाभ तत्काल प्रभाव से प्रदान किए जाएं। कोर्ट के इस निर्णय को शिक्षकों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
उच्च शिक्षा विभाग में भी हुई प्राचार्यों की नियुक्ति
इसी बीच, उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग ने विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्रोफेसर्स को प्राचार्य पद पर स्थायी तैनाती दी है।
इनमें प्रीति त्रिवेदी (नैनीताल), सुरेश चंद्र ममगाईं (टिहरी), शैराज अहमद (चमोली), डीएन तिवारी (बागेश्वर), बचीराम पंत (हरिद्वार), मृत्युंजय कुमार शर्मा (देहरादून) और हरीश चंद्र (पौड़ी) शामिल हैं।
प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी तेज
प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा विभाग के तहत सहायक अध्यापकों (गेस्ट टीचर) के खाली पड़े करीब 2,100 पदों में से 1,649 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। हालांकि लगभग 451 पदों पर भर्ती संबंधी मामला अब भी हाईकोर्ट में लंबित है, जिन्हें फिलहाल प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।


