बिग ब्रेकिंग: सुंदरखाल के ग्रामीण अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित, हाईकोर्ट ने मांगी सरकार से विस्तृत रिपोर्ट

सुंदरखाल के ग्रामीण अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित, हाईकोर्ट ने मांगी सरकार से विस्तृत रिपोर्ट

  • 1975 से अब तक नहीं मिला बिजली-पानी, 21 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

नैनीताल। कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे सुंदरखाल क्षेत्र में रह रहे ग्रामीणों को विस्थापन और मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी समस्या पर नैनीताल हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। यह मामला पिछले कई दशकों से लंबित है। अदालत ने सुनवाई के बाद अगली तिथि 21 नवंबर 2025 तय की है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि सुंदरखाल के ग्रामीणों के विस्थापन के लिए वर्ष 2014 में गठित कमेटी की सिफारिशों पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

सरकार ने दाखिल किया शपथपत्र

राज्य सरकार ने अदालत में दाखिल शपथपत्र में कहा है कि ग्रामीणों को विस्थापित करने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन एक साथ सभी को पुनर्वासित करने के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

इस कारण शासन स्तर पर अलग-अलग स्थानों पर विस्थापन की प्रक्रिया लंबित है। सरकार ने अदालत से इस स्थिति की विस्तृत जानकारी देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है।

1975 से वंचित हैं मूलभूत सुविधाओं से

यह मामला समाजसेवी संस्था इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी की जनहित याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नैनीताल जिले के सुंदरखाल गांव में 1975 से बसे ग्रामीणों को आज तक बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं।

गांव का हाल: विकास से कोसों दूर

रामनगर से महज 13 किलोमीटर दूर स्थित सुंदरखाल गांव में करीब 2500 वोटर हैं। लेकिन यहां आज भी न तो बिजली है, न शुद्ध जल की सुविधा, न स्कूल या स्वास्थ्य केंद्र। ग्रामीण वर्षों से या तो विस्थापन या मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं।

राज्य सरकार ने 2014 में कमेटी बनाकर विस्थापन का निर्णय तो लिया, लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने सरकार को दोबारा स्पष्ट जवाब देने के निर्देश दिए हैं।