क्यों लौटते वक्त रास्ता छोटा लगता है? जानिए ‘रिटर्न ट्रिप इफेक्ट’ का साइंस
Lifestyle Facts: क्या आपने कभी गौर किया है कि किसी सफर पर जाते वक्त रास्ता बहुत लंबा लगता है, लेकिन लौटते समय वही दूरी अचानक आधी सी महसूस होती है? यह कोई जादू नहीं, बल्कि हमारे दिमाग की एक दिलचस्प ट्रिक है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘रिटर्न ट्रिप इफेक्ट’ (Return Trip Effect) कहा जाता है।
पहली बार में दिमाग पर पड़ता है ज़्यादा बोझ
जब हम किसी नई जगह की ओर जाते हैं, तो हमारा दिमाग हर दृश्य, हर मोड़ और हर आवाज़ को नोटिस करता है। इतनी नई जानकारी प्रोसेस करने में दिमाग को मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए हमें लगता है कि सफर लंबा चल रहा है।
वापसी में दिमाग को मिलता है सुकून
जब हम उसी रास्ते से वापस लौटते हैं, तो सब कुछ परिचित होता है। दिमाग को अब कम मेहनत करनी पड़ती है, इसलिए समय तेज़ी से बीतता महसूस होता है। यही वजह है कि वापसी का रास्ता छोटा लगता है।
उम्मीदें और ध्यान भी बनते हैं कारण
पहली यात्रा में हमारा ध्यान मंज़िल पर टिका रहता है और हम बार-बार घड़ी देखते हैं। वहीं, लौटते वक्त हम रिलैक्स रहते हैं और ट्रिप की यादों में खोए रहते हैं। इससे दिमाग रास्ते की लंबाई पर ध्यान नहीं देता।
ब्रेक का फर्क भी मायने रखता है
नई जगह जाते वक्त हम अक्सर रुकते हैं- नज़ारे देखने, कुछ खाने या तस्वीरें खींचने के लिए। वहीं, घर लौटते समय हमारा मकसद सिर्फ जल्दी पहुंचना होता है। लगातार यात्रा के कारण सफर भी छोटा महसूस होता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह सब हमारे दिमाग की “टाइम परसेप्शन” यानी समय को महसूस करने की क्षमता पर निर्भर करता है। अगली बार जब आपको लौटते वक्त रास्ता छोटा लगे, तो समझिए — दिमाग ने फिर आपको चकमा दे दिया है!

