चार पुलिसकर्मियों पर युवक की बेरहमी से पिटाई का आरोप, कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज
रिपोर्ट- अमित भट्ट
देहरादून। राजपुर थाना क्षेत्र में एक युवक के साथ हुई बर्बर मारपीट के मामले ने पुलिस विभाग की कार्यशैली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात चार पुलिसकर्मियों ने युवक को झूठे ड्रंक एंड ड्राइव केस में फंसाया, विरोध करने पर बेरहमी से पीटा और हवालात में बंद कर दिया। कोर्ट के आदेश पर अब चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता कुनाल चौधरी, जो स्वयं एक पुलिसकर्मी के पुत्र हैं, ने बताया कि यह घटना 6 अगस्त की रात करीब 11:30 बजे की है। वह अपने दोस्तों चैतन्य उर्फ किट्टी और समीर के साथ थार वाहन से मसूरी डाइवर्जन रोड से गुजर रहे थे, तभी राजपुर पुलिस ने उनकी कार को रोका।
पुलिस कर्मियों ने शराब सेवन की पूछताछ की। कुनाल ने बताया कि उसने शराब नहीं पी थी, जबकि उसके साथियों ने बीयर का सेवन किया था।
पुलिस ने एल्कोमीटर से जांच करने की कोशिश की, परंतु यंत्र खराब था। इसके बावजूद पुलिस ने मैनुअल रिपोर्ट बनाकर झूठा चालान थमा दिया। विरोध करने पर पुलिसकर्मी भड़क उठे।
कुनाल के मुताबिक जैसे ही वह कैनाल रोड की ओर मुड़ा, पुलिस ने उसे पकड़कर जमीन पर गिरा दिया और लात-घूंसों, लाठियों और बंदूक के बट से बेरहमी से पीटा। बीच-बचाव करने आए उसके साथी किट्टी को भी पुलिसकर्मियों ने नहीं बख्शा।
इसके बाद कुनाल को अर्द्धबेहोशी की हालत में थाने ले जाकर लॉकअप में डाल दिया गया। सूचना मिलने पर उसकी मां विजय चौधरी, जो खुद पुलिस विभाग में कार्यरत हैं, रात में थाने पहुंचीं। उन्होंने बेटे को घायल अवस्था में बंद पाया, जिसके बाद मौके पर वीडियो और फोटोग्राफ लिए तथा अगले दिन मेडिकल परीक्षण कराया।
पीड़ित का आरोप है कि शिकायत देने के बावजूद एसएसपी और एसपी सिटी ने कोई कार्रवाई नहीं की। अंततः न्याय की उम्मीद में उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट के आदेश पर अपर उपनिरीक्षक मदन सिंह बिष्ट, दारोगा मुकेश नेगी, तथा पीएसी जवान नवीन चंद्र जोशी और परविंदर के खिलाफ राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
यह मामला न केवल पुलिस विभाग की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कानून के रखवाले ही जब न्याय के कटघरे में खड़े हों, तो आम नागरिक कितना असहाय महसूस करता है।

