बड़ी खबर: हाईकोर्ट से राहत मिलने पर महिम वर्मा बोले, सत्य परेशान हो सकता है, पर पराजित नहीं

हाईकोर्ट से राहत मिलने पर महिम वर्मा बोले, सत्य परेशान हो सकता है, पर पराजित नहीं

देहरादून। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (सीएयू) को उत्तराखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिलने के बाद संगठन के पूर्व सचिव महिम वर्मा ने कहा कि वे बीते छह सालों से बिना वजह लगाए गए बेबुनियाद आरोपों का सामना कर रहे थे।

हाईकोर्ट के फैसले ने न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को बहाल किया है, बल्कि पूरे उत्तराखंड क्रिकेट जगत के लिए यह सम्मान और विश्वास की पुनर्स्थापना का क्षण है।

महिम वर्मा ने कहा कि कुछ लोगों ने व्यक्तिगत स्वार्थों के चलते संगठन की छवि को धूमिल करने की कोशिश की, लेकिन अदालत के इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सच परेशान हो सकता है, पर हारता नहीं।

उन्होंने कहा कि न्यायालय के ऐसे निर्णय न्यायपालिका में जनता का भरोसा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

वहीं बीसीसीआई के अधिवक्ता आर्यन उनियाल ने बताया कि न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए वित्तीय अनियमितताओं और बजट के दुरुपयोग के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और इन पर जांच का कोई औचित्य नहीं बनता।

उन्होंने कहा कि सीएयू और बीसीसीआई दोनों स्वायत्त संस्थाएं हैं और इनके विवादों के निपटारे के लिए अलग व्यवस्था मौजूद है।

सीएयू की सचिव किरण रौतेला वर्मा ने इस फैसले को सत्य और न्याय की जीत करार देते हुए कहा कि यह निर्णय संगठन की पारदर्शी कार्यशैली और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि संगठन हमेशा से खिलाड़ियों के कल्याण और उत्तराखंड में क्रिकेट के विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है। यह जीत समर्थकों, खिलाड़ियों और हितधारकों के विश्वास का परिणाम है।

महिम वर्मा ने कहा कि अब सीएयू बिना किसी व्यवधान के क्रिकेट के विकास पर पूरा ध्यान केंद्रित कर पाएगा। उन्होंने बताया कि इस तरह के आधारहीन आरोपों ने संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाया और उत्तराखंड प्रीमियर लीग (यूपीएल) सीजन 2 के आयोजन पर भी असर पड़ा।

यदि ये विवाद न होते, तो टूर्नामेंट और अधिक भव्य तरीके से आयोजित किया जा सकता था और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर अवसर मिलते।

सीएयू अध्यक्ष दीपक मेहरा ने भी हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह निर्णय संगठन के मान-सम्मान को और मजबूत करता है। हालांकि यूपीएल सीजन 2 के दौरान विवादों के कारण कुछ नुकसान हुआ, लेकिन संगठन अब भविष्य में और अधिक पारदर्शिता और उत्साह के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल कानूनी जीत है, बल्कि दृढ़ता, एकता और न्याय में विश्वास का प्रमाण भी है।

कुल मिलाकर, हाईकोर्ट का यह फैसला न सिर्फ क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि प्रदेश में क्रिकेट के स्वच्छ और पारदर्शी भविष्य की दिशा में एक नई शुरुआत भी है।

अब संगठन का लक्ष्य प्रदेश के खिलाड़ियों को और अधिक अवसर प्रदान कर उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने पर केंद्रित रहेगा।