बारिश और तेज हवा से बिगड़ा दशहरा उत्सव। देहरादून में रावण अधूरा जला, रुद्रपुर में पुतले गिरे
रिपोर्ट- दिलीप अरोरा
देहरादून। देशभर की तरह उत्तराखंड में भी विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया, लेकिन मौसम ने कई जगह दशहरे की रौनक फीकी कर दी। राजधानी देहरादून के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड और उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में रावण दहन कार्यक्रम मौसम की मार झेलते नजर आए।
देहरादून में नहीं जल पाया 121 फीट ऊंचा रावण
देहरादून परेड ग्राउंड में बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी की ओर से 78वां दशहरा महोत्सव आयोजित किया गया। यहां 121 फीट ऊंचा रावण, 75 फीट का कुंभकरण और 70 फीट का मेघनाद का पुतला खड़ा किया गया था।
लेकिन शाम साढ़े चार बजे हुई भारी बारिश के कारण पुतले भीग गए और शाम छह बजे हुए दहन कार्यक्रम में रावण व उसके भाइयों के पुतले पूरी तरह से नहीं जल पाए।
बारिश से भीगी रावण की सोने की लंका भी अधजली रह गई। हजारों की संख्या में पहुंचे दर्शक मायूस दिखाई दिए। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी सहित कई विधायक कार्यक्रम में मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन में कहा कि दशहरा हमें यह संदेश देता है कि अधर्म, अन्याय और अहंकार की हार निश्चित है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे इस पर्व से प्रेरणा लेकर अपने भीतर की बुराइयों का त्याग करें।
रुद्रपुर में धड़ाम से गिरे पुतले
उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में दशहरे से ठीक पहले बड़ा हादसा टल गया। यहां गांधी पार्क में बनाए गए 65 फीट ऊंचे रावण और 60-60 फीट ऊंचे मेघनाद व कुंभकरण के पुतले अचानक तेज हवाओं और बारिश के कारण धड़ाम से गिर पड़े।
पुतलों के गिरने से उनके हाथ-पैर व सिर टूटकर क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि, गनीमत रही कि गिरते समय कोई भी दर्शक इसकी चपेट में नहीं आया। आयोजक समिति ने आश्वासन दिया है कि शाम तक वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी और रावण दहन हर हाल में होगा।
पुतला निर्माण में लगता है तीन महीने का समय
हर साल रामपुर से आई टीम रुद्रपुर में पुतले तैयार करती है। इस बार इन पुतलों के निर्माण में करीब तीन महीने का समय और डेढ़ लाख रुपये से अधिक की लागत आई थी। आयोजन समिति के सदस्य हरीश अरोड़ा ने कहा, “दर्शकों को निराश नहीं होने दिया जाएगा। शाम को रावण मरेगा और पुतला दहन भी होगा।”