‘नन्हीं परी’ केस। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी उत्तराखंड सरकार
देहरादून। हल्द्वानी में 2014 में घटित सात वर्षीय ‘नन्हीं परी’ गैंगरेप और मर्डर केस में अब एक बड़ा मोड़ आ गया है। उत्तराखंड सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न्याय विभाग को निर्देश दिए हैं कि आरोपी को बरी करने के आदेश के खिलाफ तत्काल याचिका दाखिल की जाए।
सीएम धामी ने कहा कि बेटियों के साथ अत्याचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और राज्य सरकार इस केस को पूरी ताकत के साथ लड़ेगी। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कानूनी टीम तैनात की जाएगी।
सरकार की ओर से यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्य आरोपी अख्तर अली को बरी किए जाने के बाद उठाया गया है। जबकि निचली अदालत और उत्तराखंड हाईकोर्ट दोनों ने उसे दोषी करार देकर सजा सुनाई थी।
घटना का पूरा विवरण
- 20 नवंबर 2014: पिथौरागढ़ निवासी सात वर्षीय बच्ची अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में शादी समारोह में शामिल होने आई थी।
- समारोह के दौरान बच्ची अचानक लापता हो गई।
- छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप के बाद हत्या की पुष्टि हुई।
पुलिस कार्रवाई
- आठ दिन बाद मुख्य आरोपी अख्तर अली चंडीगढ़ से गिरफ्तार हुआ।
- उसकी निशानदेही पर प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी पकड़ा गया।
- मार्च 2016: एडीजे स्पेशल कोर्ट, हल्द्वानी ने अख्तर अली को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई, प्रेमपाल को पांच साल की सजा मिली, जबकि तीसरे आरोपी को बरी कर दिया गया।
- अक्टूबर 2019: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा।
- 2025: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी को बरी कर दिया, जिससे लोगों में गुस्सा फैल गया।
सीएम धामी का बयान
मुख्यमंत्री ने कहा कि “देवभूमि में मासूमों के साथ दरिंदगी करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। सरकार न्याय की लड़ाई में पीड़ित परिवार के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि असामाजिक तत्वों की पहचान और रोकथाम के लिए राज्य में सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।