बड़ी खबर: जॉर्ज एवरेस्ट भूमि आवंटन पर कांग्रेस का विरोध, राज्यपाल से की CBI जांच की मांग

जॉर्ज एवरेस्ट भूमि आवंटन पर कांग्रेस का विरोध, राज्यपाल से की CBI जांच की मांग

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल गुरमीत सिंह से मुलाकात कर प्रदेश की बहुमूल्य जमीनों के संरक्षण में हो रही कथित अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते हुए जॉर्ज एवरेस्ट की भूमि कंपनी को देने के आदेश निरस्त करने और पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की।

कांग्रेस का आरोप है कि मसूरी के हाथीपांव क्षेत्र स्थित पर्यटन विभाग की 422 एकड़ भूमि, जिसे 1990–92 में पर्यटन विकास के लिए अधिग्रहित किया गया था, को वर्ष 2023 में पर्यटन विभाग ने 172 एकड़ हिस्से को राजस एरो स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड को मात्र एक करोड़ रुपये वार्षिक किराए पर 15 साल के लिए दे दिया।

आरोप है कि इस टेंडर की शर्तों में प्रावधान है कि अगले 15 वर्षों के लिए भी इसी कंपनी को प्राथमिकता दी जाएगी। कांग्रेस ने दावा किया कि यह कंपनी योगगुरु बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण से जुड़ी हुई है और इस तरह सरकार ने 30 साल के लिए भूमि हस्तांतरित करने की पूरी तैयारी कर ली है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मसूरी जैसी प्रमुख पर्यटक नगरी में इस भूमि का मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 30 हजार करोड़ रुपये है, जबकि इसे मामूली किराए पर सौंपा जा रहा है। कांग्रेस ने बैरागी कैंप की जमीन भी इसी कंपनी को दिए जाने की तैयारी पर आपत्ति जताते हुए राज्यपाल से टेंडर प्रक्रिया रोकने का अनुरोध किया।

आपदा प्रबंधन में विफलता का आरोप

कांग्रेस ने ज्ञापन में हालिया आपदाओं के दौरान सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि देहरादून समेत प्रभावित क्षेत्रों में तीन दिन बाद भी बिजली और पानी की आपूर्ति सुचारु नहीं हो सकी है। राहत और पुनर्वास कार्य ठप हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि “आपदा में मुख्यमंत्री तो दिखाई दे रहे हैं, लेकिन शासन और प्रशासन कहीं नहीं दिख रहा। मंत्री और सरकारी तंत्र संकट की इस घड़ी में नदारद हैं। देहरादून में बिजली-पानी बहाल करने में दो-दो दिन लग रहे हैं। लोगों के घरों में घुसा मलबा और जाम नालियां साफ करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा।”