चारधाम यात्रा की अनदेखी! यमुनोत्री मार्ग पर उपेक्षा से श्रद्धालु बेहाल, सरकार पर राजनीतिक षड्यंत्र के आरोप
उत्तरकाशी। उत्तराखंड की पहचान माने जाने वाली चारधाम यात्रा इस समय गंभीर संकट से जूझ रही है। श्रद्धालुओं की आस्था और गढ़वाल की आर्थिकी की रीढ़ कही जाने वाली यात्रा न केवल प्राकृतिक आपदा से प्रभावित है, बल्कि आरोप है कि सरकार की लापरवाही और सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र ने स्थिति को और भयावह बना दिया है।
अधूरे मास्टर प्लान और ठप विकास कार्य
- यमुनोत्री धाम और चारधाम यात्रा मार्ग पर अधूरे प्रोजेक्ट सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं।
- मास्टर प्लान आज तक लागू नहीं हो पाया।
- रोपवे परियोजनाएं कछुआ चाल से चल रही हैं।
- सड़क चौड़ीकरण और मरम्मत के कार्य अधूरे छोड़ दिए गए हैं।
- चिन्यालीसौड़ जैसे क्षेत्रों में पेयजल समस्या जस की तस बनी हुई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब कोई साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित रणनीति है ताकि चारधाम यात्रा प्रभावित हो।
आपदा प्रबंधन में सरकार की नाकामी
- 2024 और 2025 की आपदाओं में यमुनोत्री धाम, जानकीचट्टी, स्यानाचट्टी, खराड़ी और रानागांव जैसे क्षेत्र भारी तबाही झेल चुके हैं।
- पुल, सड़कें, होटल और दुकानें नष्ट हो चुकी हैं, लेकिन अब तक सुरक्षात्मक कार्य या पुनर्निर्माण शुरू नहीं किया गया।
- जून–जुलाई 2025 की घटनाओं में कई यात्रियों और स्थानीयों की मौत हुई, दर्जनों लोग लापता हुए, फिर भी राहत पैकेज घोषित नहीं हुआ।
यात्रियों की परेशानी
उत्तराखंड में प्रवेश करते ही हर 10–20 किमी पर यात्रियों को चेकिंग के नाम पर रोका जाता है। स्थानीयों का आरोप है कि यह सब यात्रियों को हतोत्साहित करने और चारधाम यात्रा की छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है।
कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल
- प्रदेशभर में कानून व्यवस्था चरमराई हुई है। पुलिस पर निर्दोष लोगों को परेशान करने और नशे के कारोबार पर आंख मूंद लेने के आरोप हैं।
- उत्तरकाशी जिले में नौकरशाही बेलगाम है। जनप्रतिनिधियों की बातों को अनसुना किया जाता है।
- जिला पंचायत में करोड़ों के घोटाले उजागर होने के बावजूद आरोपियों को संरक्षण मिला है।
स्थानीयों का आक्रोश
होटल-ढाबे बंद हैं, सड़कें ध्वस्त हैं और यात्रा लगभग ठप हो चुकी है। स्थानीय लोग खुले शब्दों में कह रहे हैं कि सरकार चारधाम यात्रा को बचाने की बजाय इसे बाधित करने की रणनीति पर काम कर रही है।