जिलाधिकारी पौड़ी पर अभियंताओं का मोर्चा, 15-16 सितंबर को काली पट्टी पहनकर करेंगे काम
देहरादून। जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग कर द्वेषपूर्ण कार्रवाई करते हुए अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, लोक निर्माण विभाग, श्रीनगर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के विरोध में उत्तराखंड इंजीनियर्स फेडरेशन ने सख्त नाराजगी जताई है।
इस संबंध में रविवार को फेडरेशन की प्रांतीय कार्यकारिणी की आपात बैठक ऑनलाइन आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के विभिन्न तकनीकी विभागों के अभियंता प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में कहा गया कि 11 सितंबर को भारी वर्षा के कारण श्रीनगर-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 40-45 मीटर हिस्सा वाशआउट हो गया था। ऐसे विकट हालात में अधिशासी अभियंता ने त्वरित कार्रवाई कर हिल साइड से अतिरिक्त कटान कर मार्ग को न्यूनतम समय में खोलने का प्रयास किया।
अभियंताओं का कहना है कि इस दौरान विभागीय कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे थे। वहीं, अलकनंदा नदी के किनारे कटाव के कारण भूमि धंसने से स्थायी समाधान बिना विस्तृत तकनीकी जांच और धन आवंटन के संभव नहीं था।
फेडरेशन का आरोप है कि इन तथ्यों से अवगत होने के बावजूद जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता पर दबाव बनाया और बाद में प्राथमिकी दर्ज करा दी। अभियंताओं ने इसे जिलाधिकारी की “तानाशाही प्रवृत्ति” बताते हुए कहा कि ऐसा कदम आपदा राहत कार्यों में बाधा डाल सकता है।
प्रांतीय महासचिव जितेंद्र सिंह देव ने बताया कि बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि 15 सितंबर को सभी जिलों में अभियंता जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन सौंपेंगे और 16 सितंबर को विधायक/सांसदों के जरिए सरकार को ज्ञापन भेजा जाएगा।
इन दो दिनों तक अभियंता काली पट्टी पहनकर कार्य करेंगे। यदि मांगे पूरी नहीं हुईं तो 17 सितंबर को प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में आगे की आंदोलन रणनीति तय की जाएगी।
अभियंताओं की प्रमुख मांगे हैं— जिलाधिकारी पौड़ी द्वारा दर्ज कराई गई FIR को तत्काल निरस्त किया जाए, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो और भविष्य में जिलाधिकारी पद पर ऐसे ही संवेदनशील अधिकारियों की नियुक्ति की जाए जो आपदा प्रबंधन की वास्तविकताओं से परिचित हों।

