फ्लैट खरीदारों से धोखा, बिल्डर फरार। अब बैंक करेगा जमीन की नीलामी
हल्द्वानी। रियल एस्टेट घोटालों से उत्तराखंड लगातार सिहर रहा है। देहरादून में पुष्पांजलि इंफ्राटेक के निदेशक दीपक मित्तल के 45 करोड़ रुपये लेकर फरार होने के बाद अब हल्द्वानी के बिल्डर धनंजय गिरि ने भी फ्लैट खरीदारों और बैंक को करोड़ों का चूना लगाया है।
गिरि ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से करीब 11 करोड़ रुपये का ऋण लिया और साथ ही आठ फ्लैट बेचकर 12 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम हड़प ली, मगर निर्माण कार्य शुरू तक नहीं किया।
पुलिस ने बिल्डर को फरार घोषित कर दिया है और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी है। वहीं, खरीदारों की शिकायतों पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) ने मामले में PNB को शर्तों के साथ बंधक जमीन की नीलामी की अनुमति दी है।
बंधक जमीन की नीलामी, मगर खरीदारों के हितों की रक्षा होगी
- परियोजना की जमीन PNB में गिरवी रखी गई थी, जिसकी कीमत 11.91 करोड़ रुपये आंकी गई है।
- बैंक का बकाया 10.74 करोड़ रुपये है, जबकि फ्लैट खरीदारों की देनदारी भी जुड़ी हुई है।
- RERA सदस्य अमिताभ मैत्रा ने आदेश दिया कि नीलामी में खरीदारों के हितों की रक्षा करना बैंक की जिम्मेदारी होगी, क्योंकि नीलामी की स्थिति में बैंक प्रमोटर की भूमिका में आ जाता है।
खरीदारों को 36 माह में मिलेगा फ्लैट, वरना ब्याज देना होगा
- नीलामी में सफल बोलीदाता को 36 माह के भीतर खरीदारों को फ्लैट देने होंगे।
- तय समय सीमा पार होने पर नए डेवलपर को भी 10.9% की दर से विलंब ब्याज अदा करना होगा।
- यदि नीलामी से अतिरिक्त धनराशि प्राप्त होती है तो उसे बिल्डर को लौटाने की बजाय खरीदारों में ब्याज सहित बांटा जाएगा।
किन-किन खरीदारों ने फ्लैट बुक किए थे?
- हरीश चंद्र पांडे (अप्रैल 2017)
- पाइन ट्री वेंचर (जतिन मिनोचा) (मई 2018)
- डा. जीएल फिर्मल (नवंबर 2017)
- बीएल फिर्मल (अक्टूबर 2017)
- जुगल किशोर तिवारी (अक्टूबर 2017)
- गुरमीत सिंह (नवंबर 2019)
सवालों के घेरे में पुलिस
फ्लैट खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर लगातार शहर में आता-जाता रहा, मगर पुलिस उसे पकड़ नहीं सकी। देहरादून के बिल्डर दीपक मित्तल की तरह ही धनंजय गिरि भी कानूनी खामियों का फायदा उठाकर अब तक गिरफ्तारी से बचता रहा है।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि उत्तराखंड में रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और खरीदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।