बिग ब्रेकिंग: नये नियमों से ठेकेदारों में हाहाकार, बेरोजगारी की कगार पर पहुंचे उत्तराखंड के पंजीकृत ठेकेदार

नये नियमों से ठेकेदारों में हाहाकार, बेरोजगारी की कगार पर पहुंचे उत्तराखंड के पंजीकृत ठेकेदार

  • आपदा और आपातकालीन कार्यों में हमेशा आगे रहे ठेकेदार
  • अनुभव व टर्नओवर के बढ़े मानकों से छोटे ठेकेदार बाहर
  • सरकार से समस्याओं के सहानुभूतिपूर्ण समाधान की अपील

देहरादून। उत्तराखण्ड के पंजीकृत ठेकेदारों ने राज्य सरकार से अपनी समस्याओं के समाधान की मांग उठाई है। ठेकेदारों का कहना है कि आपदा और आपातकालीन परिस्थितियों में वे हमेशा प्रदेश के साथ खड़े रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा लगातार नए-नए नियम लागू किए जाने से वे अब बेरोजगारी की राह पर खड़े हो गए हैं।

ठेकेदारों की सबसे बड़ी मांग यह है कि प्रस्तावित प्राक्कलन और तकनीकी स्वीकृति (टीएस) को ब्रेक करने का अधिकार पूर्व की भांति सक्षम अधिकारियों को दिया जाए, ताकि छोटे टेंडर अधिक संख्या में निकलें और डी व सी श्रेणी के ठेकेदारों को काम मिल सके।

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार 10 करोड़ रुपये तक के कार्य स्थानीय ठेकेदारों को मिलने थे, लेकिन उत्तराखण्ड ई-प्रोक्योरमेंट एक्ट 2025 के तहत नियमों में बड़े बदलाव कर दिए गए हैं।

अब समान कार्य का अनुभव मानक 25% से बढ़ाकर 80% कर दिया गया है और टर्नओवर का मानक पिछले पांच सालों में 50% से बढ़ाकर 200% कर दिया गया है।

ठेकेदारों का कहना है कि पहले से ही काम बहुत सीमित मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे सख्त मानक लागू होने से प्रदेश के अधिकांश ठेकेदार पूरी तरह से बेरोजगार हो जाएंगे।

उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि ठेकेदारों की समस्याओं का सहानुभूतिपूर्वक समाधान किया जाए और स्थानीय ठेकेदारों को विकास कार्यों में अवसर प्रदान किया जाए।