बनभूलपुरा हिंसा मामले में निज़ाम और शारिक को मिली जमानत, मलिक को कोई राहत नहीं
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बनभूलपुरा दंगा मामले में प्रमुख आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मुख्य साजिशकर्ता माने जा रहे अब्दुल मलिक और अब्दुल मोईद को फिलहाल कोई राहत नहीं दी।
वहीं, दंगे में शामिल बताए गए निज़ाम और शारिक सिद्दीकी को जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी कर दिए गए।
निज़ाम और शारिक की ओर से अदालत में कहा गया कि उनका दंगे से कोई संबंध नहीं है, न ही उनका कोई आपराधिक इतिहास है। साथ ही, वे घटना के बाद से ही जेल में बंद हैं। कोर्ट ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद दोनों को जमानत प्रदान की।
सरकार की ओर से सुनवाई में यह तर्क रखा गया कि मुख्य साजिशकर्ता और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, ऐसे में उन्हें सेशन कोर्ट से जमानत लेनी चाहिए।
हालांकि, बचाव पक्ष ने दलील दी कि चार्जशीट समय पर दाखिल न होने के कारण आरोपियों को डिफॉल्ट बेल का लाभ मिलना चाहिए। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि समान आरोपों में उच्च न्यायालय पहले ही कई अन्य आरोपियों को जमानत दे चुका है।
गौरतलब है कि बनभूलपुरा दंगे में कई आम नागरिकों और सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ था। इस मामले में अब तक 50 से अधिक आरोपी जमानत पर रिहा हो चुके हैं, जबकि मुख्य साजिशकर्ता और उसके करीबी सहयोगियों की जमानत याचिकाएं अभी भी अदालत में लंबित हैं।