झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन नहीं रहे, दिल्ली में 81 वर्ष की उम्र में निधन
रांची/नई दिल्ली। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और किडनी संबंधी समस्याओं और स्ट्रोक के चलते पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे।
सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया, जिसकी पुष्टि अस्पताल की ओर से मेडिकल बुलेटिन जारी कर की गई। उनके निधन की सूचना के बाद पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई।
हेमंत सोरेन ने कहा – “आज मैं शून्य हो गया हूं”
शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर पिता के निधन पर भावुक श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा: “आज मैं शून्य हो गया हूं। गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए।”
‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाने जाते थे शिबू सोरेन
शिबू सोरेन भारतीय राजनीति में आदिवासी नेतृत्व के मजबूत स्तंभ रहे। अपने समर्थकों के बीच वह ‘दिशोम गुरु’ (महान नेता) के रूप में पहचाने जाते थे। उन्होंने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और लगभग चार दशकों तक पार्टी का नेतृत्व किया।
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, कोयला मंत्री भी बने
- शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे (मार्च 2005, अगस्त 2008 – जनवरी 2009, और दिसंबर 2009 – मई 2010)।
- उन्होंने तीन बार केंद्र सरकार में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
- 1980 से 2014 तक वे 8 बार दुमका से लोकसभा सांसद रहे और तीन बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए।
झारखंड आंदोलन के अग्रदूत
- शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को वर्तमान रामगढ़ जिले में हुआ था (जो उस समय बिहार का हिस्सा था)।
- उन्होंने वामपंथी नेता एके रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का गठन किया।
- वे अलग झारखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे। अंततः 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ।
सार्वजनिक जीवन में आदिवासी अधिकारों के मजबूत पैरोकार
शिबू सोरेन ने अपने जीवन को आदिवासी समाज के अधिकारों, जंगल-जमीन और स्वाभिमान की लड़ाई में समर्पित किया। उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्ष, बलिदान और नेतृत्व की मिसाल रही है।
राष्ट्रीय राजनीति को गहरी क्षति, झारखंड में राजकीय शोक की घोषणा संभव
शिबू सोरेन के निधन को भारतीय राजनीति की अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किए जाने की तैयारी है। संभावना है कि झारखंड सरकार राजकीय शोक की घोषणा कर सकती है