विशेष रिपोर्ट: पुल बना, पर रास्ता भूले साहब! दलाली में उलझी कनेक्टिविटी, जनता का गुस्सा फूटा

पुल बना, पर रास्ता भूले साहब! दलाली में उलझी कनेक्टिविटी, जनता का गुस्सा फूटा

देहरादून/नावघाट। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ने वाला बहुप्रतीक्षित सिंहपुरा (हिमाचल)- नावघाट (उत्तराखंड) पुल बन तो गया, लेकिन कनेक्टिविटी की राह अभी भी अधूरी है।

पुल बनकर तैयार है, मगर बिना एप्रोच रोड के यह करोड़ों का प्रोजेक्ट शोपीस बना हुआ है। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने इसे “कमीशनखोरी का परिणाम” करार दिया है और कहा कि मोर्चा कनेक्टिविटी दिलाकर ही दम लेगा।

मुख्य सचिव को सौंपा ज्ञापन, कार्रवाई के निर्देश

नेगी ने 17 जुलाई 2025 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्धन को ज्ञापन सौंपकर कनेक्टिविटी के अभाव में जनता को हो रही परेशानी और सरकार के धन की बर्बादी का मुद्दा उठाया। मुख्य सचिव ने मामले को गंभीर मानते हुए सचिव, लोक निर्माण विभाग को हिमाचल सरकार को पत्र भेजने और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

पहले भी हो चुका है आग्रह, कार्रवाई अधूरी

यह पहला मौका नहीं है जब इस मुद्दे को उठाया गया हो। 28 अक्टूबर 2024 को भी मोर्चा द्वारा मुख्य सचिव (तत्कालीन) श्रीमती राधा रतूड़ी से कार्यवाही का आग्रह किया गया था। इसके बाद 4 दिसंबर 2024 को उत्तराखंड शासन द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव, लोक निर्माण को पत्र भेजा गया, लेकिन नतीजा आज भी शून्य है।

50 करोड़ की लागत, पर जनता को कोई लाभ नहीं

नेगी का आरोप है कि विभागीय लापरवाही, जनप्रतिनिधियों की नासमझी और कमीशनबाजी की जुगलबंदी के चलते यह पुल सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद आमजन को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा।

बिना MoU बना डाला पुल!

नेगी ने सबसे गंभीर सवाल यह उठाया कि जब अप्रैल 2015 में यह पुल स्वीकृत हुआ, तो हिमाचल प्रदेश सरकार से कोई पुख़्ता एमओयू या लिखित सहमति क्यों नहीं ली गई? पुल तैयार है, लेकिन सिंहपुरा की ओर न तो भूमि अर्जन हुई और न ही कनेक्टिविटी की व्यवस्था।

सूत्रों का दावा: कानूनी अड़चन सुलझाने में लगी हिमाचल सरकार

सूत्रों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश सरकार के स्तर पर भूमि अधिग्रहण से जुड़ी कानूनी अड़चनें सामने आई हैं, जिन्हें हल करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन उत्तराखंड की जनता को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा।

नेगी का संकल्प: “कनेक्टिविटी कराकर ही लेंगे दम”

रघुनाथ सिंह नेगी ने साफ शब्दों में कहा है कि, “यह भ्रष्ट अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत का नतीजा है। हम चुप नहीं बैठेंगे। मोर्चा पुल की कनेक्टिविटी जनता को दिलाकर ही दम लेगा।”

बता दें कि, सिंहपुरा-नावघाट पुल मामला उत्तराखंड में विकास योजनाओं की लचर प्लानिंग, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संवेदनहीनता का ज्वलंत उदाहरण बन गया है। जनता को सुविधा मिलने की बजाय सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं।

यह देखना अब जरूरी है कि मुख्य सचिव के निर्देशों के बाद क्या इस पुल को वास्तव में अपनी “कनेक्टिविटी” मिल पाएगी, या यह भी एक और नमूना बनकर धूल फांकता रहेगा?