रात के अंधेरे में स्टोन क्रेशर स्वामीय की पौ बारह। ध्रुवीय भालू की निंद्रा में सोया प्रशासन
रिपोर्ट- गिरीश चंदोला
थराली। चमोली जनपद के थराली विकासखंड में इन दोनों सूर्यास्त के बाद भी रात के अंधेरे में बड़े-बड़े वाहन रेत और चिप्स परिवहन करते नजर आ रहे हैं, जबकि सूर्यास्त के बाद खनन और स्टोन क्रेशर संचालित नहीं हो सकते हैं। उसके बावजूद भी कैसे स्टोन क्रेशर स्वामी रात के अंधेरे में संचालित कर रहे है।
बड़े-बड़े वाहनों से रेट और गिट्टी थराली से कुमाऊं तक पहुंच रहे हैं। आखिरकार स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं कि, प्रशासन के नाक के नीचे यह सब काम हो रहा है और प्रशासन कार्रवाई के नाम पर आंख बंद कर तमाशा देख रहा है। इन बड़े-बड़े वाहनों के चलते आम राहगीरों का सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है।
सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार खनन नीति से लेकर स्टोन क्रेशर नीति को लेकर आदेश जारी किए जाते है कि, सूर्यास्त के बाद नदियों में खनन नहीं किया जा सकता है और क्षेत्र में जो स्टोन क्रेशर संचालित हो रहे हैं सूर्यास्त के बाद वह भी संचालित नहीं किए जा सकते हैं.।
उसके बावजूद भी स्टोन क्रेशर स्वामियों के द्वारा सूर्यास्त के बाद भी धड़कल्ले से स्टोन क्रेशर संचालित किए जाते हैं और उनमें रेत और गिट्टी बड़े-बड़े वाहनों के माध्यम से गढ़वाल से कुमाऊं तक पहुंच जाते हैं।
आखिरकार यह रवनने ने कैसे कट जाते हैं और कैसे रात के अंधेरे का फायदा उठाकर रेत और गिट्टी 100-100 किलोमीटर दूर तक परिवहन किया जाता है। तमाम चेक पोस्ट से होकर यह बड़े-बड़े डंपर कैसे पुलिस की नजरों से बच जाते हैं। यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है कि आखिरकार इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है।