लिव-इन में रह रही महिला ने तीन बच्चों को दिया जन्म। आर्थिक तंगी के कारण प्रेमी ने साथ छोड़ा
देहरादून। लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही एक महिला ने तीन बच्चों को जन्म दिया, लेकिन आर्थिक तंगी के बीच प्रेमी ने उसे अकेला छोड़ दिया। अब महिला राज्य महिला आयोग की शरण में है, जहां उसके लिए कानूनी सहायता की तलाश जारी है।
यह मामला न केवल बदलते समाज की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की अनिवार्यता पर भी सवाल खड़ा करता है।
महिला ने अपने प्रेमी के साथ कई साल लिव-इन रिलेशनशिप में बिताए और तीन बच्चों को जन्म दिया। उसने सोचा कि उनका रिश्ता शादीशुदा जीवन जैसा ही है, लेकिन आर्थिक जिम्मेदारियां बढ़ने पर प्रेमी ने उसे अकेला छोड़ दिया। अब तीन बच्चों की मां के लिए जीवनयापन मुश्किल हो गया है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस मामले को समाज के बदलते स्वरूप का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया।
उन्होंने कहा कि अगर यह महिला यूसीसी के दायरे में पंजीकृत होती, तो उसके प्रेमी से भरण-पोषण का अधिकार दिलाया जा सकता था। साथ ही, बच्चों को संपत्ति में अधिकार भी मिल सकता था।
आयोग के अनुसार, हर महीने दो से तीन मामले लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े विवादों के सामने आ रहे हैं, जिनमें महिलाएं कानूनी अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। आयोग ने यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की है।
फिलहाल, प्रेमी ने बच्चों की देखभाल का खर्च उठाने पर सहमति जताई है, लेकिन महिला की स्थिति अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है।
महिला आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला और उसके बच्चों के अधिकारों की लड़ाई जारी रखी है।