सात करोड़ के GST घोटाले का खुलासा। पढ़ें….
देहरादून। राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (एसआईबी) ने देश के विभिन्न ऊर्जा निगमों और विभागों को इलेक्ट्रिक कंडक्टर की आपूर्ति करने वाली एक नामी कंपनी पर छापा मारकर बड़ा जीएसटी घोटाला उजागर किया है।
जांच में पता चला कि कंपनी ने बिना वास्तविक खरीद के फर्जी बिलों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाया, जिससे सरकार को 5 से 7 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
हालांकि, छापेमारी के दौरान गड़बड़ियां पकड़ में आने के बाद कंपनी संचालकों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए मौके पर ही 2 करोड़ रुपये जमा करा दिए।
राज्य कर विभाग की टीम ने किया बड़ा खुलासा
राज्य कर आयुक्त डॉ. अहमद इकबाल के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। अपर आयुक्त (गढ़वाल जोन) पी.एस. डुंगरियाल और संयुक्त आयुक्त एसआईबी अजय कुमार के नेतृत्व में विभाग की टीम ने छापेमारी को अंजाम दिया।
उपायुक्त एसआईबी देहरादून अजय बिरथरे ने बताया कि यह कंपनी विभिन्न राज्यों के बिजली विभागों और निगमों को इलेक्ट्रिक कंडक्टर की आपूर्ति करती है।
लंबे समय से यह ऐसी फर्मों से खरीद दिखा रही थी, जिनका पंजीकरण पहले ही निरस्त किया जा चुका था। इस फर्जी खरीद के जरिए कंपनी ने अवैध रूप से आईटीसी का लाभ उठाया।
7 करोड़ के घोटाले की आशंका, जांच जारी
प्राथमिक जांच में 5 से 7 करोड़ रुपये के आईटीसी फर्जीवाड़े का पता चला है, लेकिन यह राशि और बढ़ सकती है।
कंपनी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए 2 करोड़ रुपये मौके पर ही जमा करा दिए। विभाग ने स्पष्ट किया है कि पूरे घोटाले की गहन जांच की जाएगी और अवैध रूप से लिए गए आईटीसी की पूरी वसूली की जाएगी।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कंपनी ने ऐसे वाहनों के ई-वे बिल बनाए, जो किसी भी टोल प्लाजा से गुजरे ही नहीं। इससे माल की फर्जी खरीद की पुष्टि हो गई। साफ है कि केवल आईटीसी का अवैध लाभ लेने के लिए कागजों पर खरीदारी दिखाई गई थी।
जांच टीम में ये अधिकारी रहे शामिल
छापेमारी अभियान में उपायुक्त धर्मेंद्र राज चौहान, निखिलेश श्रीवास्तव, सहायक आयुक्त टीका राम चन्याल, श्याम दत्त शर्मा, राज्य कर अधिकारी असद अहमद, कंचन थापा और यतीश सेमवाल सहित कई अधिकारी शामिल रहे।
राज्य कर विभाग ने स्पष्ट किया है कि जांच अभी जारी है और दोषी पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।