‘स्पार्कलिंग सरोद’ और ‘मूड ऑफ पुरिया कल्याण’ ने मुझको पहुंचाया बुलंदियों पर : लाहिड़ी

‘स्पार्कलिंग सरोद’ और ‘मूड ऑफ पुरिया कल्याण’ ने मुझको पहुंचाया बुलंदियों पर : लाहिड़ी

  • विरासत के खास बने मेहमान सांस्कृतिक कलाकार अभिषेक लाहिड़ी से हुई बातचीत

देहरादून। संगीत की मदमस्त दुनिया में शानदार कदम रखते हुए विश्व विख्यात बने अभिषेक लाहिड़ी एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपने सांस्कृतिक प्रदर्शन से विश्व भर में भारत का नाम गर्व से ऊंचा किया है।

ऐसी महान शख्सियत अभिषेक लाहिड़ी से खास मुलाकात उनके द्वारा बुलंदियों को छू लेने के संबंध में हुई। उन्होंने इस खास मुलाकात के दौरान कहा कि उनके संगीत एल्बम “स्पार्कलिंग सरोद” और “मूड ऑफ पुरिया कल्याण” ने उनको बुलंदियों तक पहुंचाया है।

इसमें लोगों की दुआएं और प्रशंसाएं मेरे लिए निश्चित रूप से हौसला अफजाई वाली साबित हुई है। देश विदेश में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के इसी संगीत मय सफर में अभिषेक जी का नाम पूरे रुतबे के साथ सुना और लिया जाता रहा है।

भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रमुख विशेषताओं में से एक पारंपरिक सार के बावजूद प्रसार भारती और दूरदर्शन के सबसे युवा राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता “ए” ग्रेड सरोद वादकों में से एक अभिषेक लाहिड़ी ने सरोद बजाने की अपनी अनूठी शैली बनाकर उन्होंने दुनिया भर में अनगिनत प्रशंसाएं पाने का रिकॉर्ड भी बनाया है।

उन्होंने अपने प्रख्यात पिता और गुरु पंडित आलोक लाहिड़ी से मुख्य रूप से मैहर घराने में गुरुकुल प्रणाली में अन्य घरानों के संगम के साथ गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया है।

मुख्य हैरानी और विशेष बात यह है कि अभिषेक ने 11 वर्ष की कम उम्र में ही संगीत की दुनिया में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।

सरोद पर संगीत की लय बिखेरने वाले अभिषेक जी कहते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला ब्रेक 1997 में मिला, जब उन्हें पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने “साथ साथ महोत्सव” में खेलने के लिए आमंत्रित किया और उसी वर्ष उन्होंने विदेश में नीदरलैंड में “वर्ल्ड किंडर फेस्टिवल” में अपना पहला प्रदर्शन भी दिया।

वहां पर उन्हें ‘वंडर किड’ का नाम दिया गया। यह संगीत के प्रति एक असाधारण प्रतिभा की आजीवन प्रतिबद्धता की शुरुआत थी, जो बाद में पूरे भारत के अलावा यूरोप, यूके, यूएसए, कनाडा, श्रीलंका, जापान, सिंगापुर, पश्चिम अफ्रीका और बांग्लादेश में व्यापक संगीत कार्यक्रमों में परिणत हुई।

इस मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि अपने पिता पंडित आलोक लाहिड़ी के साथ उन्होंने फ्रांस में यूरोप संसद, कान विश्व संगीत महोत्सव और टोरंटो में कनाडा संस्कृति दिवस में पहले भारतीय के रूप में प्रदर्शन करने का गौरव भी प्राप्त किया।

वर्ष 2017 में अभिषेक को आईसीसीआर, संस्कृति मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में मोरक्को और साइप्रस भेजा गया था।

अभिषेक लाहिड़ी ने कई विश्व प्रसिद्ध स्थानों पर भी प्रदर्शन किया है। जैसे दरबार फेस्टिवल-लंदन, थिएटर डे ला विले-पेरिस, म्यूसी गुइमेट-पेरिस, सेक्रेड म्यूजिक फेस्टिवल-स्ट्रासबर्ग, ट्रोपेन थिएटर-एम्स्टर्डम, बिमहुइस-एम्स्टर्डम, म्यूसिकपब्लिक-ब्रुसेल्स, आई ऑन इंडिया फेस्टिवल- शिकागो, आईसीएमसी- डलास (टेक्सास), न्यूयॉर्क में छंदयान ऑल नाइट कॉन्सर्ट, भारतीय दूतावास-टोक्यो, संगीताभिमान महोत्सव- कोलंबो, संगीत नाटक अकादमी, हरिवल्लभ संगीत समारोह-पंजाब, ग्वालियर में तानसेन समारोह, संकटमोचन समारोह-वाराणसी, रिम्पा फेस्टिवल नई दिल्ली डोवर लेन संगीत सम्मेलन और कई अन्य शामिल हैं।

अभिषेक के संगीत एल्बम “स्पार्कलिंग सरोद” और “मूड ऑफ पुरिया कल्याण” को हमारे देश के दिग्गजों जैसे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, पंडित शिवकुमार शर्मा, उस्ताद जाकिर हुसैन, उस्ताद राशिद खान और कई अन्य लोगों के साथ 2010 और 2014 में GIMA (ग्लोबल इंडियन म्यूजिक अवार्ड्स) में नामांकन भी मिला।

उनका कहना है कि यह सभी सम्मान पाकर मैं बहुत ही खुश हूं और मैं विदेश में अपना नाम भारत के लिए रोशन कर पाया हूं, यह मेरे लिए बहुत ही बड़े गर्व और सौभाग्य की बात है।