दुष्कर्म और पॉक्सो के आरोपी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, सरकार से मांगा जवाब
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने महिला से दुराचार और नाबालिग बच्ची से छेड़छाड़ के मामले में लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा की जमानत प्रार्थनपत्र पर सुनवाई करते हुए फिलहाल कोई राहत नहीं दी है।
न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होनी तय हुई है। न्यायालय ने पूर्व में बोरा की अग्रिम जमानत और गिरफ्तारी पर रोक सम्बन्धी याचिका खारिज कर दी थी।
आरोपी ने जमानत देने की प्रार्थना करते हुए कहा कि उनको षडयंत्र के तहत फंसाया गया है। यह घटना 2021 की है और अब आठ माह बीत जाने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
एफ.आई.आर.में कहीं भी छेड़छाड़ का आरोप नही है। इसलिए उनके उपर पोक्सो नहीं जानी चाहिए। महिला उनपर बार बार दवाब डाल रही थी कि उसे नियमित किया जाय।
जबकि वह दुग्ध संघ की कर्मचारी न होकर मैन पावर सप्लाई करने वाली कम्पनी की कर्मचारी थी। जब उनके द्वारा इस कम्पनी का टेंडर निरस्त किया गया तो इन्होंने मिलकर इस षड्यंत्र के तहत उन्हें फंसाया।
जबकि सरकार और पीड़िता की तरफ से इसका विरोध किया गया। पीड़िता की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी ने 2021 से लेकर अब तक उसका शोषण किया है और बार बार जान से मारने की धमकी दी जा रही। इसके सारे सबूत उनके पास हैं।
निचली अदालत में बयान देते हुए नाबालिग ने कहा कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई है, इसलिए इनके ऊपर पोक्सो की धारा बनती है। इसलिए इनकी जमानत प्रार्थनपत्र को निरस्त किया जाय।