खाद्य पदार्थों ने थूकने की घटना को DGP ने नाकाबिले बर्दाश्त मानते हुए की गाइडलाइन जारी। पढ़ें….
देहरादून। मसूरी में चाय और देहरादून शहर में रोटी बनाते समय उस पर थूकने के बाद इसे ‘थूक जिहाद’ का नाम भला क्यों न दिया जाए। जिस तरह परोसे जाने से पहले खाद्य पदार्थों पर थूकने के वीडियो सामने आए हैं, वह बताते हैं कि यह सब जानबूझकर किया गया है।
इस तरह की घटना से न सिर्फ नागरिकों की सेहत के साथ गंभीर खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि इससे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक वैमनस्यता भी बढ़ सकती है। इस तरह की घटनाओं पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुले मंच से तीखी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।
अब उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने भी ऐसी घटनाओं को नाकाबिले बर्दाश्त मानते हुए सख्त कार्रवाई के लिए गाइडलाइन जारी की है।
पुलिस मुख्यालय की ओर से यह गाइडलाइन सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को भेजी गई है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या-क्या उपाय अपनाए जाने चाहिए और घटना प्रकाश में आने के बाद किन धाराओं में कार्रवाई की जानी है।
उन्होंने साफ किया कि इस तरह की संकुचित मानसिकता की घटनाओं के लिए उत्तराखंड में कोई जगह नहीं है। जो भी देवभूमि में मर्यादा को ताक पर रखेगा या माहौल खराब करने का काम करेगा, पुलिस उसे कड़ा सबक सिखाने में संकोच नहीं करेगी।
थूक जिहाद रोकने को यह गाइडलाइन जारी
1. होटल/ढाबा आदि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत व्यक्तियों का शत-प्रतिशत सत्यापन किया जाये।
2. इस प्रकार के व्यवसायिक संस्थानों में स्थित रसोईघरों में भी सीसीटीवी कैमरा लगाने हेतु व्यवसाय प्रबंधकों को प्रोत्साहित किया जाये।
3. खोखा/रेहड़ी आदि खुले स्थानों में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने हेतु स्थानीय अभिसूचना इकाई की भी मदद ली जाए।
4. गश्त एवं पैट्रोलिंग के समय भी इसका विशेष ध्यान रखा जाये।
5. आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य एवं खाद्य विभाग से संपर्क कर होटल, ढाबा आदि प्रतिष्ठानों में randomly चेकिंग की जाये।
6. इस प्रकार की अवैध गतिविधियां पाये जाने पर धारा 274 BNS एवं 81 उत्तराखंड पुलिस एक्ट के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया जाए।
7. यदि प्रश्नगत कृत्य से धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो तो नियमानुसार BNS की सुसंगत धारा 196 (1) (बी) अथवा 299 के अंतर्गत भी कार्रवाई की जाये।
8. स्वास्थ्य एवं खाद्य विभाग, नगर निगम/जिला पंचायत, नगर परिषदों तथा स्थानीय व्यक्तियों से समन्वय कर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए।